यूपी के प्रयागराज (Prayagraj) में ग्लोबल हॉस्पिटल (Global Hospital) में प्रदीप पांडे (Pradeep Pandey) की मौत के बाद सील किए गए अस्पताल पर अब ध्वस्त किए जाने का नोटिस लगाया गया है. प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने बिना नक्शा पास हुए अस्पताल की बिल्डिंग बनाने के आरोप में नोटिस लगाया है.
अस्पताल पर मृतक प्रदीप के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उसे प्लेटलेट्स चढ़ाने की जगह मौसमी का जूस चढ़ा दिया गया जिससे उसकी मौत हो गई.
प्रयागराज के ग्लोबल अस्पताल में प्रदीप की मौत के बाद सीएमओ ने अस्पताल को सील कर दिया था जिसके बाद अब प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने कार्रवाई करते हुए नोटिस लगाया है जिसमें बताया गया कि अस्पताल की बिल्डिंग को अनाधिकृत रूप से बिना नक्शा पास कराकर बनवाया गया है.
नोटिस में लिखा गया है कि, बिल्डिंग के मालिक को 3 दिनों में अपना जवाब दाखिल करना होगा. निर्धारित समय में संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा. संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अस्पताल को 28 अक्टूबर तक बिल्डिंग खाली करनी होगी.
वहीं प्रदीप की मौत के मामले में अस्पताल से नमूने भी लैब में जांच कराने को भेजे गए हैं. हालांकि अभी रिपोर्ट नहीं आई है. लैब रिपोर्ट सामने आने के बाद ही साफ हो सकेगा कि प्लेटलेट्स की जगह मौसमी का जूस चढ़ाया गया है या नहीं. बता दें कि निजी अस्पताल ग्लोबल हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर को स्वास्थ्य विभाग ने 20 अक्टूबर को ही सील कर दिया था.
मृतक प्रदीप के परिजनों ने क्या कहा?
मृतक के साले ने बताया है कि, जीजा जी को डेंगू हुआ था, और हम लोगों ने ग्लोबल हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. भर्ती कराने के बाद उन्होंने 8 यूनिट प्लेटलेट्स की मांग की. कुछ तो मैंने मैनेज कर लिया था, जिसमें मैंने कुछ अस्पताल के माध्यम से और कुछ ऑनलाइन खरीद कर हासिल की थी. खरीदने के बाद जब हमारे पेशेंट को वो चढ़ा तो कुछ देर बाद मरीज के शरीर पर चकते पड़ने लगे. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने हमारे मरीज को रेफर कर दिया और बोला आप किसी दूसरे अस्पताल में इलाज करा लीजिए.
परिजन ने आगे बताया कि जब हम दूसरे अस्पताल पहुंचे और उन्हें सारी जानकारी दी, तो उन्होंने बताया कि प्लेटलेट्स के नाम पर आज कल फर्जीवाड़ा हो रहा है, कहीं मौसमी का जूस, तो कहीं कैमिकल मिला कर दिया जा रहा है. आप एक फर्जीवाड़े का शिकार हुए हो. मृतक के साले ने बताया कि, इसकी वजह से मेरी जीजा जी की जान चली गई, और 26-27 साल की मेरी बहन विधवा हो गई.
इनपुट क्रेडिट- सुधीर शुक्ला
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