हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ को राज्य में स्थानांतरित करने के लिए विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करने के लिए पंजाब सरकार की आलोचना करते हुए शुक्रवार को कहा कि चंडीगढ़ दोनों राज्यों की राजधानी है और रहेगी।
यहां मीडियाकर्मियों से बात करते हुए खट्टर ने कहा कि चंडीगढ़ के मुद्दे के अलावा हरियाणा और पंजाब के बीच और भी कई मतभेद हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के कर्मचारियों के हित में केंद्रीय सेवा नियम लागू करने का फैसला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार इस मुद्दे पर जनता को गुमराह कर रही है।
इस फैसले से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को बहुत फायदा होगा। पहले कर्मचारियों को हर आदेश के लिए पंजाब सरकार पर निर्भर रहना पड़ता था। केंद्र से भत्तों या अन्य लाभों के लिए यदि आदेश होते थे, तो पहले पंजाब अधिसूचना जारी करता था। इसके बाद, यह चंडीगढ़ में लागू होगा।
अब केंद्र जो नोटिफिकेशन करेगा वह सीधे कर्मचारियों पर लागू होगा।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार ने अभी तक कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया है, जबकि हरियाणा ने इसे 2016 में लागू किया था।
खट्टर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ 1966 में पारित पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत अस्तित्व में आए।
उन्होंने कहा, इस अधिनियम में प्रावधान है कि चंडीगढ़ के 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब से होंगे और 40 फीसदी कर्मचारी हरियाणा से होंगे। उस समय से चंडीगढ़ हरियाणा और पंजाब की राजधानी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब और हरियाणा ही नहीं हिमाचल प्रदेश की जनता भी चंडीगढ़ में अपना हिस्सा मांगे।
खट्टर ने कहा, एक मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत हिमाचल प्रदेश को चंडीगढ़ की 7.19 प्रतिशत से अधिक भूमि का अधिकार भी दिया था। यह अलग बात है कि हिमाचल प्रदेश ने शिमला में अपनी राजधानी बनाई है।
--आईएएनएस
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