आगामी राजस्थान चुनाव से पहले गुलाब चंद कटारिया को राज्यपाल बनाकर बीजेपी आलाकमान ने सोचा होगा कि राज्य यूनिट के आंतरिक कलह से पार पाया जा सकेगा. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. 4 मार्च की तारीख बीजेपी के लिए कई मायनों में चुनौती थी. एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) ने जन्मदिन के बहाने शक्ति प्रदर्शन किया तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने पेपर लीक सहित तमाम मुद्दों को लेकर राजस्थान सरकार के खिलाफ जयपुर में प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आवास घेरा. एक ही दिन हुए इस दो बड़े आयोजनों ने बीजेपी के अंदर कई सवाल खड़े कर दिए और अब इसके मायने तलाशे जा रहे हैं.
वसुंधरा राजे ने शक्ति प्रदर्शन
बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे 8 मार्च को 70 वर्ष को हो जाएंगी लेकिन इस बार उसी दिन होली है ऐसे में राजे ने अपना जन्मदिन एडवांस में 4 मार्च को मनाया. चूरू जिले के सालासर धाम में राजे ने पहले पूजा अर्चना की और फिर अपने समर्थकों के बीच हुंकार भरी.
जानकारी के अनुसार, कार्यक्रम में 15 से 16 के करीब लोगों की भीड़ रही. इसमें दो दर्जन के करीब विधायक और आधा दर्जन सांसद मौजूद रहे. इसके अलावा वसुंधरा गुट के कई पूर्व सांसद और विधायकों ने भी शिरकत किया.
वसुंधरा राजे ने कहा, "मैं संगठन के सिपाही के रूप में पीएम मोदी के मार्गदर्शन व जेपी नड्डा के नेतृत्व में विचारधारा की मशाल लेकर आगे बढ़ रहीं हूं. मैंने जो बालाजी की आस्था और जनता के आशीर्वाद का दीप जलाया है,वह किसी आंधी-तूफान से बुझने वाला नहीं हैं. राजस्थान के माथे पर विकास का मुकुट लगाने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता."
राजनीतिक जानकारों की मानें तो वसुंधरा ने ऐसा कहकर एक तीर से दो निशाने किए. पहला उन्होंने पार्टी नेतृत्व को बता दिया कि राजस्थान में उनके बिना बीजेपी के लिए कुछ संभव नहीं है. दूसरा उन्होंने पीएम मोदी और नड्डा का नाम लेकर जनता में संदेश दिया कि वो आज भी बीजेपी की कार्यकर्ता हैं.
बीजेपी ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
वहीं, दूसरी तरफ पेपर लीक और बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ BJYM की ओर से राजस्थान सरकार के खिलाफ शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया गया. इसके दौरान पुलिस ने राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और उपनेता सदन राजेंद्र राठौड़ समेत सभी नेताओं को हिरासत में लिया.
इससे पहले बीजेपी ऑफिस के बाहर जनसभा हुई, जिसे बीजेपी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ संबोधित किया. खास बात यह रही कि बीजेपी के प्रदर्शन और वसुंधरा के जन्मदिन पर हुई सभा का समय भी एक ही रखा गया. राजे और पूनिया अलग-अलग मंच से एक ही समय पर भाषण भी दिया.
चुनाव से पहले बीजेपी में दिखी गुटबाजी
इस साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं. उससे पहले बीजेपी में जमकर गुटबाजी दिख रही है.एक तरफ सतीश पूनिया का धड़ा है तो दूसरी तरफ राजे का. कुल मिलाकर देखें तो दोनों तरफ से शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है. राजे ने सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ के क्षेत्र में कार्यक्रम कर अपनी ताकत का एहसास कराया है तो वहीं, पूनिया ने जयपुर में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं. पूनिया को पूरे कार्यकाल में वसुंधरा गुट का समर्थन नहीं मिलना भी उनके और पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है.
हालांकि, बीजेपी नेतृत्व ने शुक्रवार शाम प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह को जयपुर भेज गुटबाजी शांत करने की कोशिश जरूर की लेकिन फिलहाल इसमें सफल होती नहीं दिख रही है.
(इनपुट-पंकज सोनी)
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