झारखंड (Jharkhand) की रामगढ़ सीट पर महागठबंधन की हार से हेमंत सोरेन सरकार को बड़ा झटका लगा है. यहां AJSU की सुनीता चौधरी ने कांग्रेस के बजरंग महतो को 21,644 हजार वोट से हरा दिया है. रामगढ़ में आए नतीजों ने जहां लंबे समय बाद NDA को खुश होने का मौका दिया तो वहीं महागठबंधन के लिए परेशानी खड़ी कर दी. प्रदेश में 2019 से किला फतह करती आ रही हेमंत सोरेन की सरकार पर अचानक लगे ब्रेक ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं और अब इसके मायने निकाले जा रहे हैं.
झारखंड में NDA की जीत पर बीजेपी प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा, "रामगढ़ में जीत लोकतंत्र में बीजेपी के करिशमाई नेतृत्व पीएम नरेंद्र मोदी और बूथ पर काम करने वाले BJP-AJSU के कार्यकर्ताओं के संगठन शक्ति की विजय है."
NDA की रामगढ़ में जीत हेमंत सोरेन सरकार के लिए खतरे की घंटी हैं. इससे साबित हो गया कि BJP-AJSU गठबंधन लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त करेगा और आततायी और आतंकी सरकार का अंत होगा.लक्ष्मीकांत बाजपेयी, झारखंड बीजेपी प्रभारी
जीत के सिलसिले पर लगा "ब्रेक"
झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार 2019 में जीत कर आई थी. उसके बाद से आज तक प्रदेश में पांच उपचुनाव हुए. इसमें से चार बार महागठबंधन के प्रत्याशी को जीत मिली थी लेकिन इस बार की तस्वीर बदल गई. सुनीता चौधरी ने न सिर्फ उपचुनाव में एनडीए की जीत का खाता खोला बल्कि हेमंत सोरेन सरकार के जीत के सिलसिले पर भी "ब्रेक" लगा दिया. NDA रामगढ़ सीट को लेकर शुरुआत से जीत का दावा कर रहा था और वो पहली बार सफल हो गया.
सरकार को मंथन की जरूरत?
रामगढ़ सीट पर मिली हार ने हेमंत सोरेन सरकार को अपनी रणनीति पर मंथन करने के लिए मजबूर कर दिया है. पिछले कुछ समय में जिस तरीके से सरकार ने तेजी से लोकलुभावन निर्णय (स्थानीय नीति और OBC आरक्षण आदि) लिए और अपनी पीठ थपथपाई, वो इस उपचुनाव में फेल हो गए. खनन आवंटन मामले में राजभवन और सरकार के बीच का विवाद जगजाहिर रहा. मुख्यमंत्री ने केंद्र पर कई संगीन आरोप लगाए लेकिन वो भी इस बार नहीं चले. यानी राज्य सरकार को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा.
कांग्रेस को चाहिए बैसाखी?
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की पिछले कुछ समय से जो स्थिति हुई है वो किसी से छुपी नहीं है. रामगढ़ सीट पर 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत मिली थी लेकिन सरकार के रहने के बावजूद पार्टी को 3 साल बाद हार का सामना करना पड़ा है. हार को लेकर अब कांग्रेस के अंदर भी सवाल उठेंगे और मंथन भी होगा.
झारखंड में कांग्रेस JMM के सहारे ही खड़ी नजर आ रही है और इस चुनाव में भी ऐसा दिखा. पिछले कुछ समय से पार्टी को मिले झटकों ने भी कांग्रेस की मुसीबत बढ़ाई है. प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह का पार्टी छोड़ना, अंदरूनी गुटबाजी, नेतृत्व को लेकर सवाल, JMM-कांग्रेस में समन्वय की कमी दिख रही है, और अगर कांग्रेस ने इनका हल नहीं खोजा तो 2024 की राह और मुश्किल हो जाएगी.
लोकतंत्र में हार-जीत लगी रहती है. हम चार उपचुनाव जीते थे लेकिन इस बार हार मिली है. हम नतीजों की समीक्षा करेंगे. इस हार से सरकार पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. हम मंथन करेंगे कि अगले बार बड़े अंतर से रामगढ़ में जीत हासिल करें.मनोज पांडेय, JMM प्रवक्ता
NDA का बढ़ेगा हौसला
रामगढ़ सीट पर मिली जीत से न सिर्फ संख्याबल बढ़ेगा बल्कि एनडीए को मनोवैज्ञानिक बढ़त भी हासिल होगी. पिछले चार उपचुनाव में मिल रही हार से एनडीए का हौसला डगमगा गया था. सत्तारूढ़ दल बार-बार बीजेपी पर निशाना साध रहा था. वो दावा कर रहा था कि 2024 में प्रदेश से BJP का सूपड़ा साफ हो जाएगा. खुद हेमंत सोरेन ने विधानसभा के अंदर ऐसा दावा किया था. रामगढ़ में चुनाव के ऐलान के बाद बीजेपी दावा कर रही थी कि यहां एनडीए की जीत के बाद झारखंड में महागठबंधन सरकार की पतन शुरू हो जाएगी. अब बीजेपी इसका पूरे प्रदेश में जोर-शोर से प्रचार करेगी.
BJP-AJSU गठबंधन पर लगी मुहर?
2019 विधानसभा चुनाव के दौरान BJP-AJSU के बीच खटास सामने आ गई थी. दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन बाद में स्थिति ठीक हुई तो दोनों एकसाथ आ गए. रामगढ़ में जीत ने बता दिया कि जनता को गठबंधन स्वीकार है. इसका असर 2024 लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है. BJP-AJSU के गठबंधन को अगर जनता स्वीकार कर रही है तो ये महागठबंधन के लिए बड़ा सिरदर्द है.
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