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बिहार में कांग्रेस-आरजेडी में आर-पार, उपचुनाव को लेकर बढ़ी तकरार

विधानसभा में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीटों का अंतर काफी कम है

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बिहार (Bihar) में विधानसभा उपचुनाव से पहले कांग्रेस और आरजेडी के बीच ठन गई है, कुशेश्वर स्थान विधानसभा सीट पर दावेदारी को लेकर दोनों दल आमने-सामने आ चुके हैं. एक तरफ आरजेडी ने दोनों ही सीट पर अपनी दावेदारी ठोकी है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी एक सीट पर उम्मीदवार के चयन के लिए कमेटी बना दी है.

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आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि आरजेडी दोनों सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी, क्योंकि वहां आरजेडी की दावेदारी मजबूत है. दोनों सीटों पर लड़ने से महागठबंधन को फायदा होगा. महागठबंधन में इसको लेकर कहीं कोई किचकिच नहीं है, सभी नेता साथ बैठकर इसका फैसला कर लेंगे. आरजेडी का दावा है कि दोनों सीटें हराकर नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी से उतार दिया जाएगा.

जबकि कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा का कहना है कि कुशेश्वर स्थान कांग्रेस की सीट है और यहां से उनके प्रत्याशी को मात्र 7 हजार वोट से हार मिली थी. इसलिए कुशेश्वर स्थान सीट से कांग्रेस को ही चुनाव लड़ना चाहिए क्योंकि गठबंधन में पहले से यही तय है. वैसे भी तारापुर की सीट आरजेडी भी 7 हजार वोट से ही हारी है, तो बात बराबर है और निश्चित तौर पर कुशेश्वर स्थान से कांग्रेस ही चुनाव लड़ेगी.

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आंकड़ों के लिहाज से उपचुनाव महत्वपूर्ण

दरसअल जेडीयू के दो विधायकों की मौत की वजह से तारापुर और कुशेश्वर स्थान विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं. विधानसभा में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीटों का अंतर काफी कम है, इसीलिए ये उपचुनाव आंकड़ों के लिहाज से दोनों ही गठबंधनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. एनडीए को दो सीटों का नुकसान नीतीश सरकार के लिए आगे नुकसानदायक साबित हो सकता है.

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2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 और महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं. बाद में नीतीश कुमार ने बीएसपी, एलजेपी और निर्दलीय विधायक को साथ लाकर ये आंकड़ा 128 पहुंचा दिया. लेकिन दो विधायकों की मौत से ये संख्या घटकर 126 हो गई. अब अगर इन दो सीटों के उपचुनाव में महागठबंधन बाजी मारता है, तो उनकी संख्या बढ़कर 112 हो जाएगी और एआईएमआईएम के 5 विधायक जोड़ दें तो ये आंकड़ा 117 हो जाता है. हालांकि फिर भी महागठबंधन सरकार बनाने के जरूरी आंकड़े 122 से दूर ही रहेगी. लेकिन सरकार और विपक्ष के बीच ये दूरी इतनी मामूली है कि कभी कोई भी खेल हो सकता है.

यही वजह है कि उपचुनाव की घोषणा से पहले ही खुद नीतीश कुमार तारापुर और कुशेश्वर स्थान का दौरा कर चुके हैं. उधर तेजस्वी यादव भी काफी पहले से ही अपने नेताओं को दोनों जगहों पर पार्टी के लिए माहौल बनाने को कह चुके हैं. चूंकि दोनों सीटों पर जेडीयू ने जीत दर्ज की थी, इसलिए एनडीए में फिलहाल कोई कलह नहीं दिख रही. लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को देखते हुए आरजेडी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती.

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