दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा है कि महापंचायतें (Farmers Protests) पहले की तरह जारी रहेंगी. वहीं, 29 नवंबर को संसद तक होने वाला मार्च भी रद्द नहीं किया गया है. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि किसान आंदोलन के भविष्य पर फैसला लेने के लिए अगली बैठक अब 27 नवंबर को होगी.
बलबीर सिंह ने कृषि कानूनों की वापसी को अच्छा कदम बताया, लेकिन साथ ही कहा कि अभी काफी चीजें पहले के समान ही हैं.
बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान महापंचायतें जारी रहेंगी और 29 नवंबर को संसद तक मार्च भी किया जाएगा. राजेवाल ने सिंघु बॉर्डर पर कहा, "हमने कृषि कानूनों को निरस्त करने पर चर्चा की. इसके बाद कुछ निर्णय लिए गए. SKM के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे- 22 को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 को सभी सीमाओं पर सभा और 29 को संसद तक मार्च."
राजेवाल ने आगे कहा कि आंदोलन पर आगे फैसले के लिए 27 नवंबर को SKM की एक और बैठक होगी, तब तक स्थिति के आधार पर फैसला लिया जाएगा.
पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि जब तक लिखित में नहीं मिल जाता है, वो दिल्ली की सीमाओं पर बैठे रहेंगे.
लखीमपुर खीरी मामले पर मंत्री की बर्खास्तगी की मांग
राजेवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में लखीमपुर खीरी हिंसा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वो मंत्री (अजय मिश्र टेनी) की बर्खास्तगी के लिए प्रधानमंत्री को लेटर लिखेंगे. इस हिंसा में कुछ किसान समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद से ही सभी किसान अजय मिश्र टेनी को पद से हटाने की मांग कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था. इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पिछले एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं.
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