भारत के मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद् प्रोफेसर यशपाल का निधन हो गया है. वे 91 साल के थे.
2013 में उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था. इसके पहले 1976 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया था. यशपाल ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से फिजिक्स में पीएचडी डिग्री हासिल की थी. उन्होंने अपने करियर की शुरूआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से की.
1973 में सरकार ने उन्हें स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला डॉयरेक्टर नियुक्त किया गया. 1983-84 में वे प्लानिंग कमीशन के चीफ कंसल्टेंट भी रहे.
शिक्षा के क्षेत्र में रहा विशेष योगदान
1986 से 1991 के बीच यशपाल को यूजीसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया. 1970 में यशपाल के होशंगाबाद साइंस टीचिंग प्रोग्राम को खूब सराहना मिली. 1993 में बच्चों की शिक्षा में ओबरबर्डन के मुद्दे पर भारत सरकार ने यशपाल की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई. कमेटी ने लर्निंग विथाउट बर्डन नाम से रिपोर्ट दी. यह रिपोर्ट शिक्षा के क्षेत्र में बेहद प्रासंगिक है.
एनसीईआरटी ने जब नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क बनाया, तब यशपाल को इसका चेयरपर्सन बनाया गया. हाइर एजुकेशन में मानव संसाधन मंत्रालय ने 2009 में यशपाल कमेटी बनाई. कमेटी ने हायर एजुकेशन में काफी बदलाव के सुझाव दिए. हालांकि सरकार को भी अभी इन्हें ठीक तरह से लागू करना बाकी है.
यशपाल दूरदर्शन पर टर्निंग पाइंट नाम के एक साइंटिफिक प्रोग्राम को भी होस्ट करते थे.
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