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Senthil Balaji कौन हैं?गिरफ्तारी पर रोने वाले तमिलनाडु के मंत्री की याचिका खारिज

सेंथिल बालाजी ने राजनीति में 1997 में पहली बार कदम रखा था जब वे स्थानीय निकाय के सदस्य बने.

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चेन्नई के कई स्थानों पर छापेमारी के कुछ घंटों बाद तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मंत्री वी सेंथिल बालाजी (Senthil Balaji) को 13 जून को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद, डीएमके (DMK) नेता बालाजी बेहोश हो गए.

14 जून को तमिलनाडु गवर्नमेंट मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने उन्हें जल्द से जल्द बायपास सर्जरी कराने की सलाह दी है.

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बालाजी की अचानक गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी एस मेघला ने कथित तौर पर मद्रास हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (रिहाई के लिए जज के सामने जल्द पेश करने के लिए रिट) दायर की. लाइव मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ईडी अधिकारियों पर जांच के नाम पर नाटक करने का आरोप लगाया और उन पर बालाजी को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करने का आरोप भी लगाया.

इस बीच अदालत ने बालाजी की 15 दिन की रिमांड खारिज करने की याचिका को ही खारिज कर दिया है.

द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि, मंत्री की गिरफ्तारी के बाद, तमिलनाडु सरकार ने सीबीआई को राज्य में जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है. डीएमके सरकार ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और राजस्थान सहित नौ अन्य भारतीय राज्यों ने पहले ही सीबीआई के लिए सामान्य सहमति वापस ले ली है, जिसे वे केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ एहतियात कहते हैं. इसके बाद सीबीआई को तमिल नाडु में जांच करने के लिए राज्य से अनुमति लेनी होगी.

कौन हैं सेंथिल बालाजी?

चार बार के विधायक सेंथिल बालाजी एक प्रमुख राजनेता हैं जो एक किसान परिवार से आते हैं. 21 अक्टूबर 1975 को जन्मे बालाजी तमिलनाडु के करूर जिले के रामेश्वरपट्टी के रहने वाले हैं. उन्होंने रामेश्वरपट्टी सरकारी स्कूल, पसुपतिपालयम में विवेकानंद स्कूल और करूर में म्यूनिसिपल सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई की है.

बालाजी ने राजनीति में 1997 में पहली बार कदम रखा जब वे स्थानीय निकाय के सदस्य बने. वह साल 2000 से ही राजनीति में बहुत सक्रिय रहे.

विधायक के रूप में बालाजी ने 2006 में जे जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक सरकार (AIADMK) के दौरान अपनी शुरुआत की. 2018 में बालाजी डीएमके में शामिल हुए. फिलहाल वे राज्य सरकार की कैबिनेट में बिजली और उत्पाद शुल्क के मंत्री हैं.

2011 से 2015 तक तमिलनाडु सरकार के परिवहन मंत्री के रूप में काम करने के बाद बालाजी ने AIADMK छोड़ दिया. हालांकि उन्हें जुलाई 2015 में कैबिनेट से हटा दिया गया था.

2016 में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद, बालाजी ने AIADMK सरकार की छवि को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, जब AIADMK दो धड़े में बंटी तब बालाजी ने वीके शशिकला-टीटीवी दिनाकरन गुट का समर्थन किया था.

2017 में, बालाजी उन 18 विधायकों में से एक थे, जिन्हें तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल ने अयोग्य घोषित कर दिया था क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं था.
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सालों में पहली बार हो रहा है जब किसी मंत्री की गिरफ्तारी हुई हो

2013 की अम्मा वाटर इनिशिएटिव के पीछे बालाजी ही मास्टरमाइंड थे. इस योजना को सस्ती दरों में पेयजल उपलब्ध कराने और ई-सेवा केंद्र स्थापित करने के लिए शुरू किया गया था.

2018 में डीएमके में शामिल होते ही उन्हें जिला सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था, बाद में उन्होंने अरावाकुरीची निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव लड़ा और 2019 में चौथी बार विधायक बने.

फिर उन्होंने डीएमके के टिकट पर अप्रैल 2021 में हुआ विधानसभा चुनाव जीता. बालाजी की गिरफ्तारी का तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके सरकार पर कुछ प्रभाव तो जरूर पड़ा है, पार्टी ने क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं के खिलाफ "केंद्र की दबाव रणनीति" की निंदा की है। बालाजी किसी केंद्रीय एजेंसी द्वारा हाल के दिनों में तमिलनाडु से गिरफ्तार किए जाने वाले पहले मौजूदा मंत्री हैं।

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