दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव (Sharad Yadav Funeral) पंच तत्व में विलीन हो गए. मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम स्थित उनके गांव आंखमऊ में उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनकी बेटी सुभाषिनी और बेटे शांतनु ने उन्हें मुखाग्नि दी.
शरद यादव की इच्छा थी कि उनके घर के पास बने बाग में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए. इससे पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी सहित राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और ग्रामीण मौजूद रहे. परिजन दोपहर करीब 3:30 बजे शरद यादव का पार्थिव शरीर लेकर ग्राम आंखमऊ पहुंचे. अपने नेता को देखकर गांव में शोक की लहर छा गई. शाम करीब 5:00 बजे घर के समीप बने खलिहान में धार्मिक रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया.
पूरे गांव की आंखें नम
अपने गांव और गांव के लोगों से खासा प्रेम रखने वाले शरद यादव जी अक्सर अपने परिजनों से कहा करते थे की संसार से जाने पर अंतिम संस्कार गांव में ही किया जाए.
शरद यादव जी का बचपन ग्राम आंखमऊ में बीता है और प्रारंभिक पढ़ाई भी उनकी गांव में ही रह कर हुई. परिजनों के मुताबिक गांव पर प्रवास पर आने के दौरान वह अक्सर खलिहान में समय बिताया करते थे. उनकी इच्छा थी कि खलिहान में ही उन्हें विदा किया जाए. और उनकी इच्छा के अनुरूप खलिहान में उन्हें अंतिम विदाई दी गई. प्रशासन द्वारा राजकीय सम्मान के साथ सशस्त्र सलामी देते हुए गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. परिजनों और ग्राम वासियों ने अपने चहेते नेता को नम आंखों से विदा किया. इस दौरान प्रशासन के आला अधिकारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे.
कुछ ऐसा रहा शरद यादव का राजनैतिक सफर
शरद यादव ने 90 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और 1989 में वीपी सिंह सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया.
राज्यसभा के तीन बार सदस्य रहे और सात बार लोकसभा के लिए चुने गए. बिहार के सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के संस्थापक सदस्य भी रहे. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन को तोड़ने और बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बाद उनका साथ छोड़ दिया था.
2018 में, उन्होंने अपनी खुद की पार्टी, लोकतांत्रिक जनता दल लॉन्च की, लेकिन दो साल बाद लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया, यह कहते हुए कि यह "एकजुट विपक्ष की ओर पहला कदम" था.
(Input- आशीष मालवीय)
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