मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने कहा है कि कई बार राजतिलक होते-होते वनवास हो जाता है. शिवराज सिंह चौहान ने यह बात अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी के शाहगंज में कही. चौहान के बयान के सियासी मायने खोजे जाने लगे हैं. राज्य के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी बहुमत मिला है, उसके बाद मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी चौहान के स्थान पर डॉ. मोहन यादव को सौंपी गई है. इसके बाद से ही सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हैं.
मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी न मिलने पर चौहान के चेहरे पर निराशा साफ तौर पर पढ़ी जा सकती है. उनके बयान भी यह जाहिर कर देते हैं. यही बात एक बार फिर सामने आई.
उन्होंने कहा, "कहीं न कहीं कोई बड़ा उद्देश्य होगा यार, कई बार राजतिलक होते-होते वनवास भी हो जाता है. लेकिन, वह किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है."
जनता के कल्याण की बात दोहराते हुए चौहान ने कहा, "ये चिंता मत करना. मेरी जिंदगी आपके लिए है, जनता-जनार्दन के लिए है, बेटा-बेटियों के लिए है, मेरी बहनों के लिए है. इस धरती पर इसलिए आया हूं मैं, तुम्हारी जिंदगी से दुख-दर्द दूर करने,आंखों में आंसू नहीं रहने दूंगा, जिंदगी जितनी बेहतर बनेगी, बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. दिन और रात उसके लिए काम करेंगे."
शिवराज की पहचान बेटियों के मामा और महिलाओं के भाई के तौर पर है. उन्होंने अपने आवास को "मामा का घर" नाम देकर इसे जाहिर भी किया है. चौहान ने अब बी-आठ 74 बंगला को "मामा का घर" नाम दिया है.
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा
मेरे प्यारे बहनों-भाइयों और भांजे-भांजियों, आप सबसे मेरा रिश्ता प्रेम, विश्वास और अपनत्व का है पता बदल गया है, लेकिन "मामा का घर" तो मामा का घर है. आपसे भैया और मामा की तरह ही जुड़ा रहूँगा. मेरे घर के दरवाजे सदैव आपके लिए खुले रहेंगे. आपको जब भी मेरी याद आये या मेरी जरूरत हो, नि:संकोच घर पधारिये आखिर यह आपके मामा और भैया का घर जो है.
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