जयपुर, 29 जनवरी (भाषा) जम्मू कश्मीर में पाबंदियों के विरोध में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार 1950 का एजेंडा लागू कर देश को पीछे धकेल रही है।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और अंततः राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से केवल नफरत और हिंसा ही पैदा होगी। लोग सीएए, एनपीआर और एनआरसी के कालक्रम और संयोजन को अच्छी तरह से समझते हैं।
गोपीनाथन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘सीएए संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है और इसलिए लोग इसका विरोध कर रहे हैं। एनपीआर और एनआरसी दस्तावेज आधारित कार्रवाई है जो गरीब, आदिवासी और महिलाओं के खिलाफ है और इससे अंतत: भ्रष्टाचार को ही बढ़ावा मिलेगा।’’
उन्होंने कहा कि सरकार 1950 के एजेंडे का कार्यान्वयन कर केवल और केवल देश को पीछे धकेल रही है।
उल्लेखनीय है कि आईएएस अधिकारी गोपीनाथ ने केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी न दिए जाने के मुद्दे पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कश्मीरी लोगों से चर्चा या बात किए बिना ही धारा 370 को रद्द कर दिया। वहां के लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित कर दिया गया और बाकी देश के लोग उनके साथ खड़े नहीं हो रहे थे।'
उन्होंने कहा,‘‘ इस मुद्दे पर एक भयानक चुप्पी थी और इसलिए मैंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा का फैसला किया। हमें कश्मीरी लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए था।’’
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