ADVERTISEMENTREMOVE AD

सीएएसटी पर प्रवासियों की मदद में मशगूल वाल्मीकि हॉकी से अभी दूर

सीएएसटी पर प्रवासियों की मदद में मशगूल वाल्मीकि हॉकी से अभी दूर

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD
नई दिल्ली, 14 मई (आईएएनएस)। मुंबई के शिवाजी छत्रपति महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) के पास रह रहे केंद्रीय रेलवे के कर्मचारियों को पिछले सप्ताह संदेश मिला कि उन्हें काम पर लौटना है, क्योंकि सरकार ने वहां फंसे प्रवासियों के लिए उनकी घर वापसी के मकसद से ट्रेनें चलाने का फैसला किया है। इनमें से एक कर्मचारी हैं हॉकी खिलाड़ी अनूप वाल्मीकि जो 9 मई से काम कर रहे हैं।

टिकट कलेक्टर के पद पर कार्यरत वाल्मीकि ने बुधवार को आईएएनएस से कहा, "आज मेरा चौथा दिन है। मैंने तीन दिन लगातार काम किया और फिर मुझे कल छुट्टी मिली।"

25 साल का यह खिलाड़ी चर्चगेट में रहता है और अपनी मोटरसाइकिल से सीएसएमटी पहुंचने में इसे 10 मिनट लगते हैं।

वाल्मीकि ने कहा, "अब हमारी शिफ्ट तय कर दी गई है, लेकिन शुरुआत में काफी परेशानी होती थी। एक बार तो मैंने सुबह 9 बजे से देर रात तक काम किया था। टाइमिंग ट्रेनों के कार्यक्रम और जो लोग आ रहे हैं उन पर निर्भर रहती थी, लेकिन अब मैं आठ या नौ घंटे काम करता हूं और फिर कोई और आकर शिफ्ट संभालता है।"

उन्होंने कहा, "यह मुश्किल है लेकिन यह अच्छी बात है, क्योंकि ऐसे लाखों प्रवासी हैं जो घर जाना चाहते हैं। आप उनको देखते हैं और उनके चेहरे पर घर जाने का उतावलापन देखते हैं। सरकार हो सकता है कि सब कुछ दे रही हो लेकिन उन्हें अपना घर सबसे सुरक्षित लगता है। जो लोग झुग्गियों में रहते हैं, उनके पास तो खुद का टॉयलेट भी नहीं है। ये लोग उसी टॉयलेट का उपयोग करते हैं, जिनमें हजारों लोग जाते हैं।"

शिफ्ट लागू होने से वाल्मीकि और बाकी अन्य रेलवे कर्मचारियों का काम आसान हो गया है। मुंबई की गर्मी और उमस ज्यादा कपड़ों की परत ओड़ने की इजाजत तो नहीं देती लेकिन सुरक्षित रहने के लिए अधिकारियों को चेहरे पर मास्क और हाथों में ग्ल्वस पहनने अनिवार्य हैं।

उन्होंने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो हम पूरे दिन ऊपर से नीचे तक पसीने में भीग जाते हैं। हमें फेस शील्ड पहनना पड़ता है और इसे पहनने के एक-डेढ़ घंटे बाद मेरा सिर दुखने लगता है। हम ग्ल्वस पहनते हैं और चेहरे पर मास्क लगाते हैं इसके कारण हम बार-बार पानी भी नहीं पी सकते। हमें जब भी पानी पीना पड़ता है तो हाथ सैनेटाइजर से धोनी होते हैं क्योंकि आपको नहीं पता कि कितने लोगों ने उस बोतल को छुआ है।"

भारतीय टीम के लिए अपना आखिरी मैच 2016 में खेलने वाले वाल्मीकि ने कहा कि उनके लिए यह अनुभव एक तरह से अच्छा है, क्योंकि यह उनको अपने अनिश्चित्ता से भरे खेल करियर से दूर रखता है। जब भी उन्हें मौका मिलता है वो घर में अपना बेसिक वर्कआउट करते हैं, क्योंकि यह ऐसी चीज है जिससे वो दूर नहीं रह सकते। इस समय हालांकि किसी भी और चीज से ज्यादा, उन्हें काम संतुष्टि देता है।

उन्होंने कहा, "एक बार जब आपका काम खत्म हो जाता है और ट्रेन चली जाती है तो आप सुनते हैं कि लोग आपके लिए, महाराष्ट्र पुलिस और भारतीय रेलवे के लिए तालियां बजा रहे हैं, नारे लगा रहे हैं। वह 'भारत माता की जय' के नारे लगाते हैं।"

इस खिलाड़ी ने कहा, "हम उनके चेहरों पर खुशी देख सकते हैं और यह बेहतरीन एहसास होता है। हर कोई अंत में हंसता है। वो लोग हमें धन्यवाद दे रहे होंगे। यह लोग हमारे समाज की रीढ़ की हड्डी हैं। यही लोग इस समाज को बना रहे हैं। मैं जानता हूं कि गरीबी क्या होती है और यह कैसी निराशा अपने साथ लेकर आती है, इसलिए आप उनकी मदद कर सकते हो तो अच्छा।"

--आईएएनएस

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×