आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka Economic Crisis) में अब स्थिति और भी ज्यादा भयानक होती जा रही है. देश में ईंधन खत्म हो गया है और 27 जून की आधी रात से गैर-जरूरी सेवाओं पर रोक लगा दी गई है. आवश्यक सेवाओं की लिस्ट में स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, बंदरगाह, हवाई अड्डा, खाद्य वितरण और कृषि शामिल किए गए हैं. इसके अलावा सभी गैर-आवश्यक सेवाओं को 10 जुलाई तक के लिए रोक दिया गया है.
ईंधन बांटने के लिए टोकन सिस्टम शुरू
श्रीलंका के पास अब जितना भी ईंधन बचा है जरूरी सेवाओं के लिए रिजर्व कर दिया है. सरकार ने ईंधन बांटने के लिए टोकन सिस्टम भी शुरू किया है. समाचार एजेंसी एएफपी ने सरकारी प्रवक्ता बंडुला गुणवर्धन के हवाले से कहा कि,
"आधी रात से, स्वास्थ्य क्षेत्र जैसी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर कोई भी ईंधन नहीं बेचा जाएगा, क्योंकि हम अपने पास मौजूद छोटे भंडार को रिजर्व करना चाहते हैं."
इस दौरान स्कूल भी बंद रहेंगे और निजी कार्यालयों के कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है. सरकारी अधिकारियों को भी वर्क फ्रॉम होम का विकल्प चुनने को कहा गया है. ये पहली बार है जब श्रीलंका में ईंधन का ऐसा संकट आ खड़ा हुआ हो.
इस साल पांच गुना बढ़ चुकी है तेल की कीमतें
इस साल की शुरुआत से श्रीलंका में ईंधन की कीमत पांच गुना बढ़ चुकी है, कल भी कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी. डीजल की कीमत 460 लंकाई रुपये और पेट्रोल की खुदरा कीमत 550 लंकाई रुपये प्रति लीटर हो गई है. तेल के नए शिपमेंट पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री ने नागरिकों से ईंधन स्टेशनों पर भीड़ नहीं लगाने का आग्रह किया है.
ऊर्जा मंत्री के अनुसार, एक शिपमेंट सोमवार को आने वाला था, लेकिन आपूर्तिकर्ताओं ने भुगतान और अन्य रसद मुद्दों के चलते नहीं आ सका. कोई और शिपमेंट निर्धारित नहीं किया गया है, क्योंकि देश में डॉलर खत्म हो गए हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार आने वाले दिनों में देश के लिए और ईंधन पर चर्चा करने के लिए श्रीलंका के मंत्री रूस और कतर की यात्रा करेंगे. संभावित राहत पैकेज पर बातचीत के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अधिकारी भी इस वक्त श्रीलंका में है. 1948 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है और पिछले साल के अंत से भोजन, दवाओं या ईंधन के आयात में असमर्थ रहा है.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि श्रीलंका में पांच में से चार लोग अपना एक टाइम का खाना छोड़ दे रहे हैं क्योंकि वे खाने का खर्चा नहीं उठा पा रहे. विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा कि उसने कोलंबो के कुछ हिस्सों में लगभग 2,000 गर्भवती महिलाओं को फूड वाउचर बांटना शुरू कर दिया है.
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