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पी साईनाथ का सवाल: क्या केंद्र और UP सरकार कोरोना पर गंभीर हैं?

वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने यूपी सरकार और प्रशासन पर उठाए सवाल

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कोरोना की दूसरी लहर के बीच उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर तैनात करीब 713 स्कूली शिक्षकों की मौत हो गई. वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने यह दावा किया है और ट्विटर पर शिक्षकों की मौतों को लेकर सरकार और प्रशासन के इंतजामों पर सवाल उठाए हैं.

पत्रकार पी साईनाथ के मुताबिक यूपी पंचायत चुनाव में कोविड नियमों और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया, साथ ही चुनावों को रद्द करने की उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया गया.

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पत्रकार पी साईनाथ ने यूपी पंचायत चुनावों में शिक्षकों की मौत से जुड़े सवालों पर कुछ ट्वीट किए.

स्कूल टीचर रितेश मिश्रा की मौत

पत्रकार पी साईनाथ की वेबसाइट PARI पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के एक स्कूल शिक्षक रितेश मिश्रा पंचायत चुनाव के बाद कोरोना संक्रमित हो गए थे. इसके बाद उन्हें सीतापुर के अस्पताल में भर्ती किया गया. रितेश की पत्नी अर्पणा ने बताया कि हॉस्पिटल में भर्ती होने के दौरान उनके पास अधिकारियों का फोन आया.

फोन पर अर्पणा से अधिकारियों ने रितेश को 2 मई को काउंटिंग पर ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा. हालांकि अपर्णा ने अधिकारियों को यह बताया कि रितेश कोरोना से संक्रमित हैं और अस्पताल में भर्ती हैं. अधिकारियों ने उनसे इस बात का सबूत मांगा. जिसके बाद अपर्णा ने बेड की तस्वीर खींचकर अधिकारियों को भेज दी

पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर जाने से पहले मैंने उन्हें रोका था. लेकिन रितेश ने कहा कि चुनाव रद्द नहीं हो सकते हैं इसलिए ड्यूटी पर उन्हें जाना होगा वरना उनके खिलाफ FIR हो सकती है.
अपर्णा, दिवंगत रितेश मिश्रा की पत्नी

29 अप्रैल को रितेश मिश्रा की कोविड संक्रमण की वजह से मौत हो गई. वे करीब उन 700 से अधिक स्कूली शिक्षकों में शामिल थे जिनकी पंचायत चुनाव में शामिल होने के बाद मौत हो गई थी. PARI के पास उन सभी स्कूली शिक्षकों की सूची, जिनमें 540 पुरुष और 173 महिलाएं शामिल हैं.

रितेश मिश्रा, सहायक अध्यापक थे जो कि सीतापुर जिले में रहते थे लेकिन उनकी पोस्टिंग लखनऊ के गोसाईगंज ब्लॉक में थी. उन्हें पोलिंग अधिकारी के तौर पर यूपी पंचायत चुनाव में तैनात किया गया था.

शिक्षकों की मौत पर स्कूल शिक्षा मंत्री का बेतुका बयान

अप्रैल में हुए यूपी पंचायत चुनावों और कोरोना से हुई शिक्षकों की मौत के बीच के संबंध को लेकर राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री एस सी द्विवेदी ने अजीब बयान दिया.

उन्होंने कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि ड्यूटी पर जाने वाले लोग पहले से कोरोना पॉजिटिव नहीं थे?

जब कि फैक्ट यह बताते हैं कि कोरोना महामारी के 15 महीनों में उत्तर प्रदेश में 6.3 लाख केस सामने आए. पिछले 30 दिनों में 14 अप्रैल से, इनमें 8 लाख नए केस दर्ज हुए हैं. इस बीच नए केसों की संख्या और मौत के आंकड़ों दोनों में वृद्धि हुई.

चुनाव आयोग ने की अनदेखी

कोरोना की दूसरी लहर के बीच चुनाव आयोग से बंगाल में विभिन्न चरणों में होने वाले चुनावों को कुछ चरणों में करने की अपील की गई थी. वहीं उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग से पंचायत चुनाव रद्द करने की मांग की गई थी लेकिन इस मांग की अनदेखी कर दी गई.

कई अदालतों ने राज्यों और चुनाव आयोग के इस रवैये को लेकर उन्हें फटकार लगाई थी. मद्रास हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान अपनी टिप्पणी में चुनाव आयोग के अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज कर देने की बात तक कही थी. हालांकि यह सिर्फ मौखिक टिप्पणी थी, कोर्ट का मूल आदेश नहीं था.

सरकार की विफलता ने शिक्षकों के जीवन को मुश्किल में डाला

वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने कहा कि यूपी सरकार की विफलता की वजह से उत्तर प्रदेश के स्कूली शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में पड़ गई. लेकिन राज्य सरकार इससे इनकार कर रही है. साईनाथ पूछ रहे हैं कि क्या भारत सरकार और यूपी सरकार इस महामारी को लेकर वाकई गंभीर है?

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