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क्या अग्निवीर को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं? पंजाब में भारी विवाद के बाद सेना ने दी सफाई

Indian Army ने भी जवाब देते हुए कहा है कि मौजूदा नीति के मुताबिक ही कोई 'गार्ड ऑफ ऑनर' नहीं दिया गया है.

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पंजाब में भारतीय सेना (Indian Army) के एक अग्निवीर (Agniveer) जवान की मौत के बाद आर्मी द्वारा 'गार्ड ऑफ ऑनर' (Guard of Honor) न देने पर सियासत तेज हो गई है. सेना ने भी 'गार्ड ऑफ ऑनर' न देने की वजह बताई है. अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) कि 11 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के राजौरी में मौत हो गई थी. भारतीय सेना ने पूरे विवाद पर जवाब देते हुए कहा है कि मौजूदा नीति के मुताबिक ही कोई 'गार्ड ऑफ ऑनर' नहीं दिया गया है. क्या है यह पूरा मामला आपको विस्तार से बताते हैं.

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क्या है मामला ? 

पुंछ सेक्टर में जम्मू-कश्मीर राइफल्स की एक बटालियन में अग्निवीर भर्ती के तहत कार्यरत अमृतपाल सिंह का 13 अक्टूबर को पंजाब के मनसा जिले में उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया. इस अंतिम संस्कार के दौरान भारतीय सेना के जवानों ने उन्हें 'गार्ड ऑफ ऑनर' नहीं दिया.

अमृतपाल सिंह की मौत के बारे में बताते हुए सेना ने 14 अक्टूबर को एक बयान में कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में अग्निवीर अमृतपाल सिंह की राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद के बंदूक से गोली लगने से मौत हो गई थी. मामले में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी चल रही है.

'गार्ड ऑफ ऑनर' नहीं मिलने पर भड़की AAP 

वहीं इस मामले में पंजाब की राजनीतिक पार्टियों ने ऐतराज जताया है. रविवार को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा, "आज, वही हुआ जिसका हमें डर था. शहीद अग्निवीर अमृतपाल जी का पार्थिव शरीर एक प्राईवेट एंबुलेंस में पंजाब में उनके गांव लाया गया. सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि उनकी अंतिम विदाई के वक्त उन्हें कोई सैन्य सम्मान भी नहीं दिया गया."

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी कहा कि उनकी सरकार इस मामले को लेकर केंद्र के समक्ष कड़ी आपत्ति जताएगी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अमृतपाल सिंह की शहादत के संबंध में सेना की जो भी नीति हो, लेकिन उनकी सरकार की नीति शहीद के लिए वही रहेगी और सैनिक के परिवार को 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अमृतपाल सिंह देश के शहीद हैं.

विपक्षी पार्टियों ने भी साधा निशाना 

शिरोमणि अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि वह यह जानकर स्तब्ध हैं कि अमृतपाल सिंह का अंतिम संस्कार सेना के गार्ड ऑफ ऑनर के बिना किया गया.

उन्होंने इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से हस्तक्षेप की मांग करते हुए सभी शहीद सैनिकों को सैन्य सम्मान देने के लिए आवश्यक निर्देश देने की मांग की.

हरसिमरत कौर बादल ने एक्स पर पोस्ट किया “यह जानकर स्तब्ध हूं कि जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए अग्निवीर अमृतपाल सिंह का सेना के गार्ड ऑफ ऑनर के बिना अंतिम संस्कार किया गया और यहां तक कि उनके परिवार द्वारा एक निजी एम्बुलेंस में उनके पार्थिव शरीर को मनसा में उनके पैतृक गांव लाया गया! यह पता चला है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि अमृतपाल अग्निवीर था. हमें अपने सभी सैनिकों को उचित सम्मान देना चाहिए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सभी शहीद सैनिकों को सैन्य सम्मान देने के निर्देश जारी करने का अनुरोध करती हूं.”

पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा, “यह हमारे देश के लिए एक दुखद दिन है क्योंकि अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किए गए इस (सैनिक) को एक निजी एम्बुलेंस में घर वापस भेज दिया गया और @adgpi (Indian Army) द्वारा कोई गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया. ” उन्होंने पूछा, "क्या अग्निवीर होने का मतलब यह है कि उनका जीवन उतना मायने नहीं रखता."

उन्होंने X पर लिखा कि, “शोक संतप्त परिवार को स्थानीय पंजाब पुलिस से हमारे युवा लड़के को गार्ड ऑफ ऑनर देने का अनुरोध करना पड़ा. क्या इसीलिए बीजेपी ने यह नीति शुरू की? क्या हम अपने बाकी सैनिकों से अलग, अपने अग्निवीरों के साथ इसी तरह व्यवहार करेंगे? क्या हमारे शहीद जवान के साथ इस अमानवीय व्यवहार पर केंद्र सरकार के पास कोई जवाब है? शर्मनाक!''

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भारतीय सेना ने क्या कहा ? 

सेना ने शनिवार को एक बयान में कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में अग्निवीर अमृतपाल सिंह की राजौरी सेक्टर में संतरी ड्यूटी के दौरान खुद की बंदूक से गोली लगने से मौत हो गई थी. अधिक विवरण सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी चल रही है.

बयान में कहा गया है कि अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य रैंकों के साथ अग्निवीर की इकाई द्वारा किराए पर ली गई एक सिविल एम्बुलेंस में ले जाया गया. बयान में आगे कहा गया कि उनके साथ आए सेना के जवान भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए.

इसके साथ ही सेना की ओर से कहा गया है, "मृत्यु का कारण खुद को पहुंचाई गई चोट है, इसलिए मौजूदा नीति के मुताबिक ही कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार प्रदान नहीं किया गया."

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