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महाराष्ट्र: अकोला में सांप्रदायिक हिंसा के बाद से तनाव, कई हिरासत में लिए गए

Akola Violence: एक आपत्तिजनक पोस्ट वायरल होने के बाद दो समुदायों के बीच झड़प हो गई, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई.

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महाराष्ट्र (Maharashtra) के अकोला (Akola) में दो दिन पहले इंस्टाग्राम पर एक आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर सांप्रदायिक झड़प में एक नागरिक की मौत होने और कई लोगों के घायल होने के बाद, 15 मई को तनाव पैदा हो गया. यह झड़प ओल्ड अकोला के हरिहरपेठ में हुई.

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क्यों भड़की हिंसा? पुलिस ने आधिकारिक तौर पर पोस्ट की प्रकृति का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह पोस्ट एक समुदाय के एक धार्मिक व्यक्ति के खिलाफ थी. पोस्ट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए लोगों के एक समूह के ओल्ड सिटी पुलिस स्टेशन जाने के बाद, समुदाय के कुछ अन्य सदस्यों ने हरिहरपेठ में हिंसा का सहारा लिया और आठ-नौ घरों में तोड़फोड़ की. दोनों पक्षों के पथराव के बाद हिंसा और बढ़ गई.

जिस व्यक्ति ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, वह झड़प के बाद से लापता है. पुलिस ने अब तक उसकी पहचान जाहिर नहीं की है.

हिंसा बाद में हरिहरपेठ से अक्कलकोट, हमजा प्लॉट, गाडगे नगर, पुराना शहर, चांद खॉ प्लॉट, एमआरआर मंदिर परिसर और जय हिंद चौक इलाकों तक फैल गई. पुलिस वाहनों सहित कम से कम नौ कारों और 15 दोपहिया वाहनों में आग लगा दी गई.

कौन है मृतक?: मृतक की पहचान मजदूर विलास गायकवाड़ (40) के रूप में हुई है. उनके परिवार में पत्नी और दो नाबालिग बेटियां हैं. इलाके में हुए पथराव में सिर पर गंभीर चोट लगने से गायकवाड़ की मौत हो गई.

अकोला के एसपी संदीप घुगे ने क्विंट को बताया, "इलाके में एक दुकान में काम करने वाले विलास गायकवाड़ काम से घर जा रहे थे, तभी झड़प हुई. ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पता चले कि वो भीड़ में शामिल थे."

राज्य सरकार ने मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. बीजेपी की अकोला इकाई ने भी उनके लिए 1 लाख रुपये का मुआवजा दिया है.

शांति बनाए रखने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं? कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए वर्धा, अमरावती, वाशिम, बुलढाणा और हिंगोली क्षेत्रों के 1,000 से अधिक पुलिसकर्मियों को अकोला भेजा गया है. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPR) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के जवानों को भी शहर में तैनात किया गया है.

शहर के चार थाना क्षेत्रों- सिटी कोतवाली, रामदास पेठ, पुराना शहर और डापकी रोड में कर्फ्यू लगा दिया गया है.

रविवार को शहर में 36 घंटे के लिए इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं निलंबित कर दी गईं और शहर में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई.

पुलिस ने अब तक क्या कार्रवाई की?: एसपी घुगे ने द क्विंट को बताया, "मामले में अब तक पांच केस दर्ज किए गए हैं. कर्फ्यू और इंटरनेट बंद है. शहर में अभी शांति है, लेकिन हम अलर्ट पर हैं. हर संभव उपाय किए जा रहे हैं. शांति सुनिश्चित करने के लिए दोनों समुदायों के शीर्ष राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के साथ बैठकें की जा रही हैं."

मामले में 300 लोगों के खिलाफ पांच मामले दर्ज किए गए हैं और दो दिनों में दोनों समुदायों से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत 100 को हिरासत में लिया गया है.

पुलिस ने कहा कि आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर युवक के खिलाफ धारा 295 (ए) (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और धारा 153 (ए) (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत रामदासपेठ पुलिस स्टेशन में एक और मामला दर्ज किया गया है.

सरकार ने कैसे प्रतिक्रिया दी है? सोमवार को मीडिया से बात करते हुए, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुलिस की "सतर्कता और मुस्तैदी" की सराहना की. फडणवीस अकोला जिले के संरक्षक मंत्री भी हैं.

"क्षेत्र में अब शांति है, कुछ लोग अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. अन्य सभी जिलों की पुलिस शहर में है. हम किसी को भी महाराष्ट्र में दंगे शुरू नहीं करने देंगे और ऐसा करने वालों को सबक सिखाया जाएगा."
देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम

रामनवमी पर संभाजी नगर में हुई झड़प के बाद की घटना के बारे में पूछे जाने पर फडणवीस ने कहा, "राज्य में कानून व्यवस्था को खराब करने की कोशिश की जा रही है. कुछ प्रयास राजनीति से प्रेरित भी हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस तरह की घटनाओं में आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं."

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