कर्नाटक विधानसभा में 9 दिसंबर को विपक्ष के हंगामे के बाद गोहत्या-रोधी विवादित बिल पास हो गया. बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम और संरक्षण बिल-2020 पेश किया था.
बिल में गो हत्या पर पूरी तरह रोक का प्रावधान है. साथ ही गाय की तस्करी, अवैध ढुलाई, अत्याचार और गो हत्या में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भी प्रावधान है.
बिल की धारा 1 (2) में बताया गया है कि ‘मवेशी’ में गाय, गाय का बछड़ा और बैल के साथ-साथ तेरह साल से कम उम्र की भैंस भी शामिल हैं.
मवेशी की हत्या की सजा 3 से 5 साल तक की कैद होगी. कानून के प्रावधानों के उल्लंघन पर कैद के साथ 50,000 से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है.
सब-इंस्पेक्टर की रैंक से ऊपर के पुलिस अधिकारी को, अगर उसके पास यह मानने की वजह हो कि इस कानून के तहत अपराध हुआ है, तो किसी भी परिसर में तलाशी लेने का अधिकार होगा.
बता दें कि पशुपालन मंत्री प्रभु चव्हाण ने जैसे ही बिल पेश किया, विपक्ष के नेता सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस के विधायक अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए. उन्होंने आरोप लगाया कि बिल को पेश करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में चर्चा नहीं की गई.
सिद्धारमैया ने कहा, ''हम इस बात को लेकर सहमत हुए थे कि केवल अध्यादेश पारित किए जाएंगे. अब, उन्होंने (प्रभु चव्हाण) अचानक यह गोहत्या-रोधी बिल पेश कर दिया.'' हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े केगेरी ने कहा कि उन्होंने बैठक में यह साफ तौर पर कहा था कि अहम बिल बुधवार और गुरुवार को पेश किए जाएंगे. इस जवाब से संतुष्ट न होने के बाद कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया और बीजेपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की.
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