केंद्र में सत्ताधारी और बीजेपी के अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के एक और घटक दल ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. अपना दल-सोनेलाल (अनुप्रिया गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष पटेल ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के नेतृत्व के प्रति नाराजगी जाहिर की है.
उन्होंने कहा कि न केवल अपना दल, बल्कि बीजेपी के भी कई विधायक, सांसद और मंत्री प्रदेश सरकार से नाराज हैं.
‘अनुप्रिया पटेल को नहीं मिलता वो सम्मान, जिसकी वो हकदार हैं’
आशीष पटेल ने प्रदेश सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि अपना दल के कोटे से केन्द्र में मंत्री बनीं अनुप्रिया पटेल को उत्तर प्रदेश में वह सम्मान नहीं मिलता, जिसकी वह हकदार हैं. यहां तक कि उन्हें मेडिकल कॉलेजों के उद्घाटन कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया जाता.
उन्होंने कहा कि न केवल अपना दल, बल्कि खुद बीजेपी के विधायक, सांसद और यहां तक कि मंत्री भी प्रदेश सरकार से नाराज हैं और वे केन्द्रीय नेतृत्व से मिलकर अपनी नाराजगी जाहिर करना चाहते हैं.
‘सहयोगी दलों को मिलना चाहिए बराबर सम्मान’
हालांकि आशीष पटेल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी अगले चुनावों के बाद भी नरेन्द्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है, लेकिन सहयोगियों को बराबर का सम्मान मिलना चाहिए.
यह पूछने पर कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के हाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद 2019 में एनडीए कमजोर हो जाएगा, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है. हम 2014 में भी बीजेपी के साथ थे, जब उनके बुरे दिन चल रहे थे.''
‘SP-BSP गठबंधन से मुकाबले के लिए BJP को करनी चाहिए बात’
पटेल ने कहा कि चुनावों में हार चिंताजनक है और बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व को इस पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एसपी, बीएसपी का भावी गठबंधन एक चुनौती है और उसका सामना करने के लिए एनडीए को अपना दल जैसे अपने घटक दलों के साथ बैठकर विचार-विमर्श करना चाहिए.
यह पूछे जाने पर कि लोकसभा के चुनाव में अपना दल बंटवारे के तहत कितनी सीटों की अपेक्षा करता है, पटेल ने कहा, ‘‘यह समय आने पर बताया जायेगा, लेकिन हमारी ताकत पहले से बढ़ी है. हम सम्मान के भूखे हैं.''
प्रदेश सरकार से विशेष तौर पर निगम अध्यक्षों के खाली पदों पर अपना दल के लोगों को नहीं चुने जाने पर पार्टी अध्यक्ष ने नाराजगी जताई और कहा, ‘‘सरकार क्यों इंतजार करती रहती है कि दूसरी पार्टी के लोग पिछले दरवाजे से घुस आएं और फिर उन नियुक्तियों को रद्द करना पड़े.''
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