असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Sarma) ने सोमवार 22 मई को घोषणा की कि उनकी सरकार 2023 के अंत तक राज्य से विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, (AFSPA) को पूरी तरह से वापस लेने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा सरमा ने ट्वीट किया, "हम अपने पुलिस बल को ट्रेन करने के लिए पूर्व सैन्य कर्मियों को भी शामिल करेंगे."
उन्होंने 22 मई को आयोजित कमांडेंट सम्मेलन में घोषणा की, “नवंबर तक पूरे राज्य से अफस्पा हटा लिया जाएगा. यह असम पुलिस बटालियनों द्वारा सीएपीएफ के प्रतिस्थापन की सुविधा प्रदान करेगा. हालांकि, कानून द्वारा आवश्यक सीएपीएफ की उपस्थिति मौजूद रहेगी.“
केंद्र ने पिछले साल पूरे असम राज्य से अफ्सपा के तहत अशांत क्षेत्रों की अधिसूचना को हटा दिया था, लेकिन यह अभी भी लगभग नौ जिलों और एक अन्य जिले के एक उप-मंडल में लागू था. हालांकि, 1 अप्रैल, 2023 से, अधिसूचना को राज्य के एक और जिले से हटा लिया गया था, जिसका अर्थ था कि AFSPA असम के केवल आठ जिलों तक सीमित है.
AFSPA सशस्त्र बलों के लिए विशेष शक्तियों का प्रावधान देता है जो धारा 3 के तहत "अशांत" घोषित होने के बाद केंद्र या किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा शासित राज्य या उसके कुछ हिस्सों पर लगाया जा सकता है.
यह अधिनियम इन्हें उन क्षेत्रों के रूप में डिस्क्राइब करता है जो "डिस्टर्ब्ड या खतरनाक स्थिति है कि नागरिक शक्ति की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का इस्तेमाल जरुरी है."
AFSPA का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में किया गया है जहां उग्रवाद ज्यादा है.
AFSPA को इसलिए कठोर कहा जाता है क्योंकि यह सशस्त्र बलों को व्यापक अधिकार देता है. यह उन्हें कानून के उल्लंघन या हथियार और गोला-बारूद ले जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ 'ओपन फायर' करने, यहां तक कि उन्हें शूट करने की अनुमति देता है. यह उन्हें "उचित संदेह" के आधार पर वारंट के बिना व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और वारंट के बिना परिसर की तलाशी लेने की शक्ति देता है.
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