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Assam: पुलिस हिरासत में मौत,भीड़ ने जलाया थाना, अब आरोपियों के घर पर चला बुलडोजर

मछली बेचने वाले सफीकुल इस्लाम की हुई थी पुलिस हिरासत में मौत, स्वतंत्र जांच के आदेश दिए गए

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असम के नगांव (Nagaon, Assam) में पुलिस हिरासत में मौत की घटना से गुस्साई भीड़ ने शनिवार, 21 मई को पुलिस थाने में आग लगा दी. इसके एक दिन बाद, रविवार को जिला प्रशासन ने कथित तौर पर तोड़फोड़ और आगजनी में शामिल लोगों के घरों पर बुलडोजर चला दिया. साथ ही आग लगाने की घटना में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 15 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

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सलोनबाड़ी गांव में आरोपियों के घरों पर चला बुलडोजर

रविवार की सुबह कई बुलडोजर सलोनबाड़ी गांव पहुंचे और कथित तौर पर बटाद्रवा पुलिस थाने में आग लगाने की घटना में शामिल आरोपी लोगों के पांच घरों को तोड़ दिया गया.

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार विशेष डीजीपी लॉ एंड आर्डर जीपी सिंह ने जानकारी दी है कि बटाद्रवा थाने में आग लगाने के मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 15 लोगों को हिरासत में लिया गया है.

पुलिस के अनुसार सलोनबाड़ी गांव के एक मछली बेचने वाले शख्स, सफीकुल इस्लाम को नशे में होने की शिकायत के बाद हिरासत में लिया गया था. उसकी मौत के बाद गुस्साई भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया.

हिरासत में मौत की स्वतंत्र जांच का आदेश

DGP भास्कर ज्योति महंत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "हम सफीकुल इस्लाम की दुर्भाग्यपूर्ण मौत को बहुत गंभीरता से लेते हैं. बटाद्रवा पुलिस स्टेशन के ऑफिस इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया है. अगर पुलिस से कोई गड़बड़ी हुई है तो हम उसे ढूंढेंगे और दोषियों को कानून के अनुसार सजा दिलवाएंगे"

न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के अनुसार विशेष डीजीपी लॉ एंड आर्डर जीपी सिंह ने बताया है कि सफीकुल इस्लाम की कथित हिरासत में मौत की स्वतंत्र जांच का आदेश दिया गया है.

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क्या है पूरा मामला?

शनिवार 21 मई को सफीकुल इस्लाम को पुलिस हिरासत में मारे जाने का आरोप लगाते हुए सलोनबाड़ी गांव की गुस्साई भीड़ ने थाने में आग लगा दी और तोड़फोड़ की. नगांव की एसपी लीना डोले ने रिपोर्टरों को बताया कि इस घटना में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए और उनका इलाज चल रहा है.

जहां पुलिस का कहना है कि सफीकुल को इसलिए थाने लाया गया था क्योंकि वह रात में नशे की हालत में सड़क पर मिला था, वहीं गांवालों का आरोप है कि पुलिस ने उसे हिरासत में लेने के बाद रिश्वत के तौर पर 10,000 रुपये और एक बत्तख की मांग की थी.

सफीकुल इस्लाम के परिवार ने दावा किया है कि पुलिस ने हिरासत में उनके साथ मारपीट की क्योंकि वे पुलिस की मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं थे.

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