असम (Assam) सरकार ने विदेशी प्राधिकरणों (Foreigners Tribunals) को गिरफ्तारी और निर्वासन पर 'परिणामी आदेश' पारित न करने का आदेश दिया है. असम सरकार के अनुसार प्राधिकरण के सदस्यों के पास इसका अधिकार नहीं है और वे केवल एक मामले पर अपनी "राय" दे सकते हैं.
असम सरकार के राजनीतिक (बी) विभाग के उप सचिव पारिजात भुइयां ने 4 सितंबर को विदेशी प्राधिकरणों के सदस्यों को पत्र लिखा . पत्र के अनुसार राज्य के न्यायिक विभाग ने प्राधिकरणों द्वारा पारित "राय" का मूल्यांकन किया है और पाया कि सदस्यों ने राय देते समय "परिणामी आदेश" पारित किए थे और इसे राज्य के न्यायिक विभाग ने "गंभीरता से देखा है".
मालूम हो कि राजनीतिक (बी) विभाग - विदेशी प्राधिकरणों (FTs), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC), आधिकारिक भाषा कार्यान्वयन और राज्य-स्तरीय राष्ट्रीय एकता समिति से संबंधित मामलों देखता है.
क्या हैं विदेशी प्राधिकरण ?
1964 में गृह मंत्रालय द्वारा स्थापित विदेशी प्राधिकरण अर्ध-न्यायिक निकाय हैं जो असम में नागरिकता का निर्णय करते हैं और अब विवादास्पद राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से बाहर किए गए 19 लाख लोगों के लिए अंतिम सहारा हैं.
NRC से बाहर रहे लोगों के अलावा, विदेशी प्राधिकरण असम में सीमा पुलिस द्वारा लाये गए 'संदिग्ध वोटरों' और अन्य मामलों का फैसला करते रहे हैं.
फॉरेनर्स (ट्रिब्यूनल) ऑर्डर, 1964 के अनुसार,विदेशी प्राधिकरण का गठन इस पर "राय" देने के लिए किया गया था कि फॉरेनर्स एक्ट, 1946 (1946 का 31) के अनुसार एक व्यक्ति विदेशी है या नहीं.
हालांकि असम के राजनीतिक (बी) विभाग द्वारा 4 सितंबर को लिखे पत्र के अनुसार, विदेशी प्राधिकरण के सदस्य राय देते समय "परिणामी आदेश / निर्देश" पारित कर रहे हैं और "यह एक सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता."
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