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क्या प्रधान मुन्ना पासवान को दलित होने के बावजूद 'खुशहाल' होने की सजा मिली?

Priyanka gandhi, SP, Chandrashekhar Azad ने यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं

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क्या यूपी के आजमगढ़ (Azamgarh) में एक प्रधान मुन्ना पासवान (Munna Paswan) के घर को इसलिए तोड़ा गया है क्योंकि उसका रसूख और रहन सहन कथित अगड़ों से आगे था? जेसीबी से घर तोड़ने का आरोप पुलिस पर है. कई थानों की पुलिस पर. हालांकि पुलिस का कहना है कि एक केस से बचने के लिए प्रधान ने अपना घर खुद तोड़ा है. ऐन चुनाव के पहले पुलिस महकम पर दलितों के खिलाफ जुल्म के आरोपों ने यूपी में सियासी तूफान मचा दिया है.

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क्या है पूरा मामला?

29 जून को, आजमगढ़ जिले के पलिया गांव में छेड़छाड़ की एक घटना की जांच करने दो पुलिस वाले आए. आरोप है कि उन्होंने प्रधान को थप्पड़ मार दिया. जवाब में प्रधान पक्ष से कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों से मारपीट की. ग्रामीणों का आरोप है कि रात में दबिश देने आई पुलिस ने JCB से मुन्ना पासवान और पासी समाज के कुछ मकानों में को तहस नहस कर दिया और उनके जेवर और कीमती सामान लूट ले गए. ग्रामीणों ने पुलिस पर महिलाओं के साथ अभद्रता करने का भी आरोप लगाया है.

पुलिस ने इस मामले में तीन केस दर्ज किए हैं. स्थानीय थानाध्यक्ष तारकेश्वर राय का कहना है कि 2 मुकदमों में अभी तक 2 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. उन्होंने कहा कि गांव के अधिकांश पुरुष अभी गायब हैं.

पुलिस का कहना है कि पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए इन लोगों ने खुद ही अपने घरों में तोड़फोड़ की, ताकि पुलिस पर दबाव बनाया जा सके और मारपीट वाले मुकदमे में कोई कार्रवाई न हो. आजमगढ़ पुलिस ने ट्वीट कर दावा किया है कि प्रधान और उनके साथियों ने दो पुलिसकर्मियों को बुरी तरह पीटा और वर्दी भी फाड़ दी. उसी मारपीट के केस से बचने के लिए पुलिस पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं और दबाव बनाया जा रहा है.

पुरुषों ने गांव छोड़ा, महिलाएं धरने पर

कहा जा रहा है कि तनाव के बाद से पुरुष डर से भागे हुए हैं. वहीं, महिलाएं अपने साथ हुई बदसलूकी के खिलाफ धरने पर बैठ गई हैं. महिलाओं की मांग है कि पुलिसवालों पर कार्रवाई हो.

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    (फोटो: क्विंट हिंदी)

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    (फोटो: क्विंट हिंदी)

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सरकारी अमला दलित विरोधी-प्रियंका

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले हुई इस घटना पर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और भीम आर्मी सेना ने योगी सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लिखा कि ये सरकारी अमले की दलित विरोधी मानसिकता का परिचायक है.

उन्होंने कुछ तस्वीरें ट्वीट कर लिखा, "आजमगढ़, रौनापार के पलिया गांव में यूपी पुलिस द्वारा दलित परिवारों पर हमला करने की खबर आ रही है. वहां कई मकानों को तोड़ा गया, सैकड़ों पर मुकदमा दर्ज किया. यह सरकारी अमले की दलित विरोधी मानसिकता का परिचायक है. तत्काल दोषियों के ऊपर कार्यवाही हो और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए."

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चंद्र भान प्रसाद ने कहा- "ग्राम प्रधान से डरते थे वर्चस्ववादी"

दलित विचारक चंद्र भान प्रसाद ने एक ट्वीट में कहा कि रुतबे वाले एक दलित परिवार को टारगेट किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि कई पुलिस थानों ने गांव में रेड मारी.

एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, "इस मुन्ना पासी ने मनु विरोधी घर बनाया, इसके पास 4 ट्रैक्टर हैं, एक वैन, एक जीप, एक राइफल, एक बोर गन, एक ईंट की फैक्ट्री, हाल ही में लिया पेट्रोल पंप. वो काफी लोकप्रिय हैं, जाति के वर्चस्ववादी इनसे डरते थे."

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समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता, शंकर यादव भी पीड़ितों से मिलने गांव पहुंचे और घरों का जायजा लिया. यादव ने इसके बाद कहा, "पुलिस पर हाथ उठाने की निंदा करता हूं, और पुलिस ने जो गांव के लोगों के साथ किया उसकी भी निंदा करता हूं. मैं योगी आदित्यनाथ से मांग करता हूं कि CBI जांच बिठाई जाए और जो लोग इस मारपीट में शामिल थे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो."

"JCB लेकर घर को तोड़ना, बहू-बेटियों को मारना, धन-गहने लूटना. डकैती से भी बदतर हालत हुई है. ये पासी समाज के लोग हैं. आ कर के पुलिस के द्वारा इस तरह का कुकर्म किया गया. आपके हाथ में जो भी कानून था, उनके ऊपर वो लाद देते, लेकिन ये करना गलत है."
शंकर यादव, कार्यकर्ता, समाजवादी पार्टी

भीम आर्मी सेना के चीफ, चंद्रशेखर भी 19 जुलाई को पीड़ितों से मुलाकात करेंगे. चंद्रशेखर ने चेतावनी देते हुए कहा कि पुलिस का ये अत्चार दलित समाज नहीं भूलेगा.

उन्होंने ट्वीट में लिखा, "जिला आजमगढ़, ग्राम पलिया के प्रधान मुन्ना पासी जी के घर पर की गई तोड़-फोड़ प्रशासन की दलित विरोधी मानसिकता का प्रमाण है. योगी जी दलितों पर आपकी पुलिस द्वारा किया गया अत्याचार दलित समाज भूलेगा नहीं. मैं 19 जुलाई को पीड़ित परिवार से मिलकर उन्हें न्याय दिलाने खुद आजमगढ़ आ रहा हूं."

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