बिहार में कोरोना से पीड़ित एक पूर्व सैनिक की इलाज नहीं मिलने के चलते मौत हो गई. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इस पूर्व सैनिक को इलाज इसलिए नहीं मिल पाया, क्योंकि नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल प्रशासन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के दौरे की तैयारी में व्यस्त था. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इस दौरान पीड़ित परिवार लगातार हॉस्पिटल प्रशासन से गुहार लगाता रहा, लेकिन उन्हें भर्ती नहीं किया गया.
सेना के रिटायर्ड जवान विनोद सिंह, जो कि लखीसराय के रहने वाले थे. उन्हें कोविड पॉजिटिव होने के बाद पटना रेफर किया गया था. जहां बेड्स की कमी के चलते उन्हें कई अस्पतालों ने भर्ती करने के इनकार कर दिया.
‘अस्पताल के बाहर डेढ़ घंटे तक इंतजार किया’
मृतक विनोद सिंह के बेटे ने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि, ‘मेरे पिता कोरोना से संक्रमित थे. अन्य अस्पतालों ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया था, लेकिन नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने उन्हें भर्ती करने के लिए तैयार हो गया था. हमने अस्पताल के बाहर करीब डेढ़ घंटे तक इंतजार किया.”
मृतक जवान के बेटे अभिमन्यु कुमार ने कहा कि,
“हम पिताजी को 12 अप्रैल की शाम को पटना लेकर आए थे और उन्हें एम्स लेकर गए. लेकिन वहां डॉक्टर्स ने बेड की कमी का हवाला देकर भर्ती करने से इनकार कर दिया. इसके बाद हम उन्हें प्राइवेट नर्सिंग होम लेकर गए, जहां वे कुछ घंटों तक भर्ती रहे.”
उन्होंने आगे बताया कि, 13 अप्रैल को सुबह 10 बजे, हम नालंदा मेडिकल कॉलेज गए. लेकिन वहां पर सब हेल्थ मिनिस्टर के दौरे को लेकर हो रही तैयारियों में व्यस्त थे.
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है: स्वास्थ्य मंत्री
इस मामले में अस्पताल और डॉक्टर्स की लापरवाही से जुड़े सवाल पर, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि, हम सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं और हमें दुख है कि कोई इस तरह इलाज के अभाव में मर गया.
“यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. पिछले कुछ दिनों में अस्पतालों में कोरोना केसों की संख्या बढ़ी हैं. प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने की कोशिशें लगातार जारी हैं.”मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार
बता दें कि इससे पहले देश के कुछ हिस्सों में खुद अस्पताल प्रशासन और डॉक्टर्स ने VVIP मूवमेंट पर रोक लगाने की मांग की थी.
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