बिहार में चुनाव नतीजों के ठीक बाद अब सोमवार 23 नवंबर से 17वीं विधानसभा के सत्र का आगाज हो रहा है. अब इस नए सत्र में काफी कुछ खास रहने वाला है और विपक्ष नीतीश सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की भी तैयारी में है. इस सत्र में पहली बार चुनकर आए सदस्य भी शपथ लेंगे. साथ ही कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंसिंग भी नजर आने वाली है.
मजबूत विपक्ष के सामने नीतीश सरकार
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही एनडीए के पक्ष में आए हों, लेकिन मुकाबला काफी कांटे का रहा. यानी विपक्ष भी काफी मजबूत स्थिति में है. ऐसे में अब नीतीश सरकार के सामने ये चुनौती होगी कि वो कैसे विपक्ष के सवालों से खुद को बचा पाती है.
विपक्षी नेता तेजस्वी यादव पहले से ही आक्रामक मूड में हैं और दागी नेताओं को लेकर सरकार पर हमला बोल रहे हैं. वहीं बिहार चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा रहे रोजगार को लेकर भी विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.
कोरोना महामारी को देखते हुए ये विधानसभा सत्र सेंट्रल हॉल में आयोजित होगा. सत्र के पहले दो दिनों तक शपथ ग्रहण के चलते बैठने की व्यवस्था आम ही रहेगी, लेकिन इसके बाद पक्ष और विपक्ष के सदस्य अलग-अलग बैठेंगे. निर्वाचित सद्स्यों को पांच भाषाओं- हिंदी, अंग्रेजी, मैथिली, उर्दू और संस्कृत में शपथ लेने का विकल्प दिया गया है.
25 को होगा अध्यक्ष का चुनाव
बताया गया है कि 23 और 24 नवंबर को शपथ ग्रहण के बाद 25 नवंबर को बिहार विधानसभा के अध्यक्ष का चुनाव होगा. साथ ही इसके बाद सत्र की कार्यवाही सुचारू रूप से चलेगी. इसके बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद भी होगा. ये विधानसभा सत्र 27 नवंबर तक चलेगा.
तो कुल मिलाकर बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक बाद आयोजित ये सत्र काफी दिलचस्प रहने वाला है. जिसमें नीतीश सरकार की नीतियों का नया रोडमैप तो दिखेगा ही, साथ ही ताकतवर विपक्ष का भी अलग अंदाज नजर आएगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)