बिहार (Bihar) के बक्सर जिले (Buxar) में बुधवार, 20 मार्च को हंगामा और बवाल देखने को मिला. चौसा में निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट (Thermal Power Plant) के खिलाफ पिछले 11 दिनों से धरना दे रहे ग्रामीणों ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया है.
दूसरी तरफ कथित तौर पर कहा जा रहा है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस-प्रशासन के सामने ही कई राउंड हवाई फायरिंग की, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई. वहीं प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस पर पथराव करने का भी आरोप है, जिसके जवाब में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लाठी-चार्ज किया.
घटना की जानकारी मिलते ही शाहाबाद रेंज के डीआईजी नवीन चंद्र झा खुद मौके पर पहुंचे. उनके साथ डीएम अंशुल अग्रवाल, एसपी मनीष कुमार, एसडीएम धीरेन्द्र मिश्र और दोनों डुमरांव अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी आफाक अख्तर अंसारी के साथ भारी संख्या में पुलिस बल के साथ मौजूद रहे.
डीएम अंशुल अग्रवाल ने कहा कि किसानों से धरना खत्म करने को लेकर बातचीत जारी थी. पटना हाई कोर्ट का भी स्पष्ट निर्देश है कि थर्मल पावर प्लांट के निर्माण में कोई खलल न डाली जाए.
बक्सर के चौसा थर्मल पावर प्लांट के गेट पर किसान अपनी 11 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन अचानक पुलिस और किसान के बीच झड़प होने से माहौल बिगड़ गया. इस बीच ग्रामीणों पर पुलिस की गाड़ी आग के हवाले किए जाने का आरोप है.
ग्रामीणों ने पुलिस पर लगाए कई आरोप?
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि किसानों के साथ झड़प के होने के बाद पुलिस ने बनारपुर गांव में घुसकर कई लोगों की पीटा. इसके साथ ही लोगों का कहना है कि पुलिसवाले घरों के छत पर चढ़ गए और लाठियों से महिलाओं को पीटा.
एक ग्रामीण ने आरोप लगाया कि पुलिस ने गांव के कई लोगों को हिरासत में ले लिया है जिनका कोई पता नहीं है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि झड़प के बाद पुलिस लौट चुकी थी, लेकिन जब डीएम और एसपी आए तब उन्होंने 300 पुलिसकर्मियों के साथ गांव वालों को पीटा है.
इस घटना के कई वीडियो भी सामने आए हैं. एक वीडियो में दो महिलाओं के सिर से खून बहता दिख रहा है. वह पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहती हैं, "मुझे पीटा गया. काफी जोर-जोर से मारा गया. मुझे इतना पीटा गया है कि मेरा हाथ टूट चुका है."
एक बु्जुर्ग महिला की तस्वीर भी सामने आई है. आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस ने उन्हें पीटा है. तस्वीर में उनके मुंह और नाक से खून बहता दिख रहा है और चेहरे पर मिट्टी लगी है.
किसानों की मांग क्या है?
किसानों ने कहा कि वे 552 दिनों से धरना दे रहे थे. किसान चाहते हैं कि उन्हें मुआवजा दिया जाए. चौसा थर्मल प्लांट से 1320 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा इसके लिए एक दर्जन से अधिक गांवों की 1058 एकड़ जमीन ली जा रही है. किसानों की मांग है कि जमीन के बदले परिवार के एक सदस्य की नौकरी और उचित मुआवजा दिया जाए.
आरोप है कि पिछले साल भी प्रदर्शन करते हुए किसानों ने प्लांट के भीतर आग लगा दी थी जिसके बाद 25 करोड़ का नुकसान हुआ था. कंपनी की शिकायत पर हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया और जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि प्लांट के निर्माण में कोई बाधा न आए. अदालत ने ये भी कहा इसे लेकर किसानों के साथ समन्वय बनाने की कोशिश करें.
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