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तेलंगाना से कुत्ते क्यों मंगवा रही है बिहार सरकार? 

शराब की गंध को सूंघकर पहचान कर पाने वाले 20 प्रशिक्षित कुत्तों को बिहार के चारों पुलिस जोन भेजा जाएगा

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बिहार में शराब की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के मकसद से राज्य सरकार की तेलंगाना से 20 प्रशिक्षित कुत्तों को लाने की योजना है. ये कुत्ते सूंघकर शराब की जमाखोरी का पता लगा लेंगे.

बिहार के पुलिस महानिरीक्षक विनय कुमार ने बताया कि तेलंगाना के एकीकृत खुफिया प्रशिक्षण अकादमी (IITA) में 20 ऐसे कुत्तों को ट्रेनिंग करवाकर बिहार लाया जाएगा, जो शराब की जमाखोरी को सूंघकर पता लगा लेंगे.

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विनय कुमार ने कहा कि विस्फोटक को सूंघकर उनकी पहचान किए जाने के तर्ज पर शराब की जमाखोरी को सूंघकर पता लगा सकने वाले कुत्ते तैयार किए जाने के लिए सेना और अर्द्धसैनिक बलों से कॉन्टेक्ट किया गया था. लेकिन उनसे ऐसे कुत्ते उपलब्ध नहीं हो पाए.

शराब की गंध को सूंघकर पहचान कर पाने वाले ऐसे 20 प्रशिक्षित कुत्तों को बिहार के चारों पुलिस जोन पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और भागलपुर में भेजा जाएगा. अगर यह शुरुआती परियोजना सफल होती है तो तेलंगाना से और भी ऐसे कुत्ते मंगाए जाएंगे.

बिहार में खैनी पर भी लग सकता है प्रतिबंध

इसी के साथ बिहार में शराब की जमाखोरी पर कार्यवाई करने के साथ-साथ नीतीश सरकार अब 'खैनी' (तंबाकू) पर भी प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है. हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रटरी संजय कुमार ने बताया कि कई बीमारियों के लिए जिम्मेदार 'खैनी' पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखा है.

उन्होंने कहा कि पान मसाला और गुटखा पहले से ही राज्य में प्रतिबंधित हैं और राज्य में हर पांचवें व्यक्ति के खैनी का आदी होने के मद्देनजर इस पर भी प्रहार किए जाने की जरूरत है. हालांकि बिहार में तंबाकू की खपत में पिछले एक दशक में गिरावट आयी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के ग्लोबल ‘एडल्ट टोबैको सर्वे 2016-17' के मुताबिक,
राज्य में करीब 20 फीसदी लोग खैनी का सेवन करते हैं. नीतीश सरकार के खैनी पर प्रतिबंध लगाने के विचार की कुछ विपक्षी नेताओं ने आलोचना की है. विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया है कि इस तरह के प्रतिबंध को लागू करने से तंबाकू व्यापार में लगे हजारों लोगों को रोजगार से वंचित कर देगा.

(इनपुट: भाषा)

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