बिहार (Bihar) के जहानाबाद जिले के बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में रविवार, 11 मई की देर रात मची भगदड़ (Jehanabad Temple Stampede) में छह महिलाओं सहित सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई. कथित तौर पर यह भगदड़ उस समय मची जब भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया. बराबर पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर में भगदड़ में कम से कम 16 अन्य लोग घायल हो गए.
हालांकि, अधिकारियों ने अपनी ओर से किसी भी लापरवाही से इनकार किया है.
सावन के चौथे सोमवारी को जलाभिषेक करने के लिए उमड़ी थी भारी भीड़
12 अगस्त को हिंदू धर्म में अहम माने जाने वाले महीने, सावन का अंतिम सोमवार है. इस वजह से श्रद्धालुओं कि बड़ी भी रविवार रात से ही बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में जमा होने लगी थी. मंदिर की एक तरफ, पातालगंगा की तरफ की सीढ़ी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु चढ़ और उतर रहे थे.
कथित तौर पर रात के 12-1 बजे के आस-पास मंदिर के अंदर किसी बात को लेकर विवाद हो गया और मामला भगदड़ तक पहुंच गया. एक प्रत्यक्षदर्शी मनोज ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब मंदिर में फूल बेचने वाले और कांवड़ियों के बीच किसी बात को लेकर झड़प हुई. इससे भगदड़ की स्थिति पैदा हुई.
चश्मदीदों का दावा है कि मंदिर के अंदर स्थित कुछ NCC के वॉलंटियर ने इस दौरान हालात पर काबू पाने के लिए लाठी चलाई तो भगदड़ और बढ़ी. भगदड़ होते ही इधर-उधर लोग भागने लगे. इस दौरान कई लोग एक दूसरे के ऊपर चढ़कर जा रहे थे. हालांकि पुलिस लाठीचार्ज की बात से इंकार कर रही है.
आधिकारी रूप से हादसे में 12 लोग घायल हो गए और 6 महिला समेत 7 लोगों की मौत हो गई. हालांकि चश्मदीद मृतकों की संख्या इससे कहीं अधिक होने का दावा कर रहे हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार मृतकों की पहचान प्यारे पासवान (30 साल), निशा देवी (30 साल), पुनम देवी (30 साल), निशा कुमारी (21 साल) और सुशीला देवी (64 साल) के रूप में की गई है. अधिकारी ने बताया कि एक महिला की पहचान नहीं हो सकी है.
वहीं जिला मजिस्ट्रेट अलंकृता पांडे ने बताया कि भगदड़ कांवड़ियों के बीच विवाद और हाथापाई के कारण हुई. उन्होंने कहा कि मंदिर के सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत स्थिति पर काबू पा लिया. साथ ही एडीएम आपदा के नेतृत्व में एक जांच कमिटी बनाई गई है जो 3 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.
जिला मजिस्ट्रेट के अनुसार घटना स्थल पर पुलिस-प्रशासन की पर्याप्त तैनाती थी. चूंकि मंदिर का प्रांगण बहुत संकड़ा है, इस वजह से छोटी सी भी धक्का-मुक्की से ऐसी स्थिति पैदा हो गयी.
"लाइन लगाने की व्यवस्था नहीं थी"
हादसे में अपनी बहन को खोने वाले एक चश्मदीद ने बताया कि उनके घर की महिलाएं मंदिर में पातालगंगा की तरफ की सीढ़ी चढ़ रही थीं. और इसी दौरान उस सीढ़ी से मंदिर से भीड़ लौट रही थी. उन्होंने कहा, "लाइल लगाने की कोई व्यवस्था नहीं थी. इसी वजह से भगदड़ मची. भीड़ के मैनेजमेंट में लगे कुछ NCC (राष्ट्रीय कैडेट कोर) के वॉलंटियर ने भक्तों पर लाठियां चलाईं, जिससे भगदड़ मच गई. प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं थी."
हालांकि NCC वॉलंटियर्स के हाथों भीड़ के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी छोड़ने के आरोप को नकारते हुए जहानाबाद के एसडीओ विकास कुमार कहते हैं, "जैसी सतर्कता हमने पिछले 3 सावन सोमवारी में रखी थी, चौथी में हम उससे ज्यादा सतर्क थे."
"ऐसी कोई बात नहीं है कि हमने NCC और स्काउट-गाइड के हाथों सुरक्षा व्यवस्था दे दी थी. जैसी फोर्स, सीविल मजिस्ट्रेट और मेडिकल टीम की तैनाती होती है, सबकुछ व्यवस्था वैसी ही थी. यह दुखद घटना है."एसडीओ विकास कुमार
जहानाबाद के एसपी अरविंद प्रताप सिंह ने भी लाठीचार्ज के आरोपों से भी इंकार किया है. उन्होंने भी कहा है कि NCC को सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं दी गई थी. पुलिस ने शुरुआती झड़प में शामिल स्थानीय दुकानदारों और कांवड़ियों की पहचान के लिए जांच शुरू कर दी है.
इस मंदिर में भगदड़ से मौत का यह पहला मामला नहीं
हैरत की बात यह है कि इस प्रसिद्ध मंदिर में भगदड़ से मौत का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले 2009 में भी बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर की पूर्व की तरफ की सीढ़ी पर भगदड़ मची थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने घटना पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए सभी मृतकों को 4-4 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने का निर्देश दिया है. साथ ही घायलों के उचित इलाज की भी बात की है.
बिहार के नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके कहा है कि जहानाबाद के बाबा सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में देर रात श्रावणी मेले के दौरान भगदड़ मचने से कई श्रद्धालुओं की मृत्यु की खबर एवं अनेक श्रद्धालुओं के घायल होने की खबर अत्यंत पीड़ादायक है.
केन्द्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस घटना पर दुख जताया है.
(इनपुट- महीप राज)
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