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नीतीश ने जिसे कहा था-अंग्रेजी छोड़िए,कौन हैं वो किसान जो मशरूम से कमा रहे लाखों?

Amit Kumar को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अंग्रेजी में बोलने पर टोक दिया था और हिंदी में बात करने के लिए कहा था.

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बिहार (Bihar) के लखीसराय (Lakhisarai) जिले के किसान अमित कुमार (Farmer Amit Kumar) अपनी अंग्रेजी को लेकर सुर्खियों में थे. हाल ही में पटना में आयोजित चतुर्थ कृषि रोड मैप कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अंग्रेजी में बोलना शुरू किया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) खफा हो गए.

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"यह इंग्लैंड नहीं बल्कि भारत है", अमित कुमार को टोकते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा था. जिसके बाद उन्होंने क्षमा मांगते हुए अपना पूरा भाषण हिंदी में दिया. 35 साल के किसान को उस समय राहत मिली जब बाद में मुख्यमंत्री ने कहा, "जो आप कह रहे हैं सही है, लेकिन अपनी भाषा में कहें." सीएम नीतीश और युवा किसान का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमित ने कहा कि उन्हें ज्यादा खुशी होती अगर उनकी अंग्रेजी के बजाय उनके उद्यमिता कौशल और खेती के तरीकों के बारे में बात होती.

कौन हैं अमित कुमार?

अमित कुमार के पास B.Sc. की डिग्री है. उन्होंने पुणे से एमबीए किया है. उनकी उत्नी दीपिका कुमारी के पास बीसीए की डिग्री है. दोनों पति-पत्नी पिछले तीन सालों से लखीसराय में अपनी 10 कट्ठा जमीन (लगभग 14,000 वर्ग फुट) पर मशरूम की खेती कर रहे हैं.

अमित बिहार के उन 16 'प्रगतिशील किसानों' में शामिल थे, जिन्हें सीएम की मौजूदगी में अन्य किसानों से बातचीत करने का मौका मिला.

सीएम की सलाह पर, उन्होंने कहा कि उन्हें यह महसूस हुआ कि उन्हें किसानों से उनकी भाषा में जुड़ने की जरूरत है. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि,

मैंने कुछ सामान्य शब्दों का इस्तेमाल किया जो हमारे भाषण का हिस्सा बन गए हैं, क्योंकि हम अंग्रेजी और हिंदी दोनों पढ़ते हैं. लेकिन अब मुझे पता है कि 'incentivise' जैसे कुछ शब्दों के लिए मुझे हिंदी शब्दों की तलाश करनी होगी. चूंकि मैं मशरूम की खेती का प्रशिक्षक हूं, इसलिए मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि मेरी पहुंच अधिक से अधिक किसानों तक हो."

अमित कुमार मुंगेर, भागलपुर, लखीसराय, जमुई, पूर्णिया, कटिहार और अररिया में बोली जाने वाली स्थानीय बोली अंगिका भी बोल सकते हैं.

सालाना 25 लाख का टर्नओवर

लखीसराय के रामपुर गांव के रहने वाले अमित ने करीब 11 साल तक पुणे के एक स्टार्टअप में काम किया है. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने बताया कि, "कोरोना काल में मैं अपने गांव लौट आया था. मैं यहां कुछ करना चाहता था. थोड़ी-बहुत रिसर्च के बाद मैं और मेरी पत्नी ने मशरूम की खेती करने का फैसला किया."

पिछले दो सालों से अमित और दीपिका रोजाना 80 किलो मशरूम बेच रहे हैं. उनका सालाना टर्नओवर 25 लाख का है.

अमित ने बताया कि "मशरूम के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि इसे प्रोसेस किया जा सकता है. इसे पाउडर और सूखा कर भी बेचा जा सकता है."

बता दें कि मुंगेर की मशरूम किसान वीणा देवी को प्रधानमंत्री मोदी से सम्मान मिलने के बाद लखीसराय, बांका और आस-पास के इलाकों में मशरूम की खेती में तेजी आई है.

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