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बिहार पर सियासी संग्राम, पर कब बदलेगी 'बिहारियों' की स्थिति? |Bihar Mein Ka Ba

Bihar Remark Row: नीति आयोग की 2021 बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है

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ऐ बिहारी

बिहार से हैं का?

बिहारी कहीं का

बिहार (Bihar) के लोगों को अक्सर ऐसे शब्दों से दो-चार होना पड़ता है. इस बार तो बिहार पर तंज को लेकर संसद में हंगामा मच गया. बिहार की बदहाली का मजाक बनाने का किसी को हक नहीं, लेकिन बिहार का मजाक बनाए जाने पर बिहार के जो नेता भड़कते हैं, टीवी डिबेट करते हैं, उनसे ये पूछा जाना चाहिए कि क्या आपने कभी आपने अंदर झांककर देखा?

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संसद से सड़क तक हंगामा

20 दिसंबर को राज्यसभा में RJD सांसद मनोज झा बोल रहे थे. बीच में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इनका बस चले तो ये पूरे देश को बिहार बना देंगे. इसके बाद क्या था. उनके इस बयान पर विवाद हो गया. मनोज झा ने तुरंत कहा, मेरा अपमान करना हो तो करें, लेकिन मेरे राज्य का नहीं.

केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर संसद से सड़क तक हंगामा मच गया. इसकी गूंज दिल्ली से पटना तक सुनाई दी.

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि ये सबूत है कि ये लोग बिहार से कितनी घृणा करते हैं.

हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद पीयूष गोयल ने अपना बयान वापस ले लिया. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब बिहार के लोगों को बिहारी बोलकर अपमानित किया गया हो. कुछ महीने पहले नोएडा में एक महिला ने गार्ड से बदसलूकी करते हुए उसे बिहारी कहकर अपमानित किया था.

असम से लेकर महाराष्ट्र तक बिहारियों के साथ बदसलूकी और मारपीट की खबरें आती रहती हैं. बिहारी होने को जैसे कलंक बना दिया गया है. ये हाल तब है जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, राष्ट्रकवि रामधानी सिंह दिनकर, महान गणितज्ञ आर्यभट्ट से लेकर ऐसे कई महापुरुष हैं, जो बिहार से हैं. वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल यहीं से हैं. इनका 30 बिलियन डॉलर का बिजनेस साम्राज्य है. Trivago वाले अभिनव कुमार को कौन नहीं जानता है. बड़हिया में जन्मे अभिनव पेटीएम में वाइस प्रेसिडेंट मार्केंटिंग हैं. फिलहाल जर्मनी में रहते हैं. 'Toilet Man of India' बिंदेश्वर पाठक, जिन्होंने देशभर में सुलभ शौचालय का जाल बिछा दिया.

बिहारियों की उपलब्धियों की फेहरिस्त लंबी है. सिविल परीक्षा पास करने वालों में बिहार के स्टूडेंट अग्रणी होते हैं. तो फिर समस्या कहां है? समस्या बिहारियों में नहीं बिहार में है.

बिहार सबसे गरीब राज्य

नीति आयोग की 2021 बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है. बिहार की 51.91 प्रतिशत जनसंख्या गरीब है. आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार में 51.9% आबादी पोषण से वंचित है.

स्वास्थ्य की बात करें तो बिहार की सेहत ठीक नहीं है. साल 2019-20 के लिए नीति आयोग ने राज्य स्वास्थ्य सूचकांक का चौथा संस्करण जारी किया था. "स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत" नाम से जारी इस रिपोर्ट में 19 बड़े राज्यों की सूची में बिहार 18वें पायदान पर है.

शिक्षा के मामले में भी बिहार पीछे

शिक्षा के मामले में भी बिहार पिछड़ा हुआ है. बिहार बोर्ड परीक्षाओं में चोरी की खबरें बनती हैं. प्रदेश के कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. न तो समय पर क्लास चलता है और न ही समय पर परीक्षा होती है. नीति आयोग की वेबसाइट पर मौजूद स्कूली शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक के दूसरे संस्करण के आंकड़ों के मुताबिक, बड़े राज्यों की सूची में बिहार 19वें पायदान पर है.

वहीं शिक्षा मंत्रालय की 2020-21 की परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में बिहार 773 अंकों के साथ 27वें पायदान पर है.

साल 2022 में NIRF की रैंकिंग में टॉप 100 संस्थानों में बिहार की एक भी यूनिवर्सिटी और कॉलेज का नाम तक नहीं है. इससे आप खुद ही बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा लगा सकते हैं.

IAS, इंजीनियरिंग और मेडिकल में बिहार की मिसाल दी जाती है. लेकिन इनोवेशन के मामले में भी बिहार फिसड्डी है. नीति आयोग की इनोवेशन इंडेक्स 2021 के मुताबिक, प्रमुख राज्यों में बिहार 15वें पायदान पर है.

हत्या के मामले में बिहार दूसरे नंबर पर

NCRB ने क्राइम इन इंडिया 2021 नाम से इस साल एक रिपोर्ट जारी की थी. हत्‍या के मामले में यूपी अव्‍वल तो दूसरे पायदान पर बिहार है. बिहार में साल 2021 में 2799 हत्या के मामले सामने आए हैं. साल 2021 में देश भर में जमीन विवाद के कारण झगड़े-फसाद के कुल 8848 मामले दर्ज किए गए, जिनमें बिहार टॉप पर रहा. बिहार में जमीन विवाद से जुड़े 3336 मामले दर्ज हुए. पुलिस और सरकारी अधिकारियों पर हमले के मामले में भी बिहार सबसे ऊपर है, और 150 मामले दर्ज किए गए हैं.

बिहार की कैसे बदलेगी स्थिति?

ये सारे कारण हैं जिनके कारण बिहार के लोग बिहार से पलायन कर बाहर चले जाते हैं. करियर बनाने, बेहतर जीवन जीने. 2011 की जनगणना के हिसाब से देश के 14 प्रतिशत माइग्रेंट बिहार से ताल्लुक रखते हैं.

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पॉपुलेशन स्टडीज के 2020 में किए गए एक शोध के मुताबिक बिहार की आधी जनसंख्या का पलायन से सीधा रिश्ता है.

रोजगार की तलाश में पलायन लंबे अरसे से यहां के लोगों की मजबूरी रही है. और जब बिहारी बाहर जाते हैं उनपर फब्तियां कसी जाती हैं. और ये बात नेता अच्छी तरह से जानते हैं

नेता जी संसद में ये मसला उठा तो रहे हैं लेकिन इसे ठीक कौन करेगा? इनकी पार्टी सालों बिहार की सत्ता में रही, लेकिन पलायन रोकने के लिए क्या किया? कुछ किया होता तो इनके अपने नेता को बिहार का मजाक बनाने का मौका न मिलता. पलायन रोकना है तो बिहार की सेहत, शिक्षा, रोजगार सब ठीक करना होगा. कोई बिहार का मजाक बनाए तो जरूर नाराज होना चाहिए, लेकिन अगर करारा जवाब देना है तो बिहार को बेहतर करना होगा. ये नहीं करेंगे तो आपके आंसू घड़ियाली आंसू माने जाएंगे.

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