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BMC ने फायर NOC फी वसूली का फैसला टाला, BJP-शिवसेना में आरोप-प्रत्यारोप जारी

कोरोना के बीच मुंबईकरों से फायर सर्विस फी और वार्षिक शुल्क वसूलने के निर्णय से BMC में बवाल मच गया था

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BMC के फायर विभाग में हुए कथित घोटाले के आरोपों के बीच बीजेपी और शिवसेना फिर एक बार आमने-सामने भिड़ गए हैं. बिल्डरों से वसूला जानेवाला करोड़ो का टैक्स सामान्य मुंबईकरों के सिर मढ़ने का आरोप बीजेपी ने शिवसेना पर लगाया है.

कोरोना के बीच मुंबईकरों से नए फायर सर्विस फी और वार्षिक शुल्क वसूलने के निणर्य से BMC में बवाल मच गया. शुक्रवार को हुई स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में इस निर्णय का हर दल ने विरोध किया. जिसके बाद BMC प्रशासन ने इस वसूली के निर्णय को स्थगित कर दिया है.

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आखिर क्या है ये पूरा मामला?

बता दें कि 7 जून 2021 को BMC ने एक सर्क्युलर जारी किया था. सर्क्युलर में 3 मार्च 2014 से लेकर 6 जून 2021 तक सभी निर्माण पर पूर्वव्यापी तरीके से बकाया शुल्क वसूल करने के आदेश दिए थे.

दरअसल, महाराष्ट्र फायर प्रिवेंशन एंड लाइफ सेफ्टी मेजर्स एक्ट, 2006 के तहत औसतन 10 से 15 रुपये प्रति स्कवायर मीटर फायर सर्विस फी किसी भी नए निर्माण के मालिकाना अधिकार और फायर NOC देने से पहले वसूली जाती है. लेकिन BMC प्रशासन का दावा है कि 2014 के बाद से वसूली न करने से 1400 करोड़ का रेवेन्यू का घाटा हुआ है.

फायर विभाग में कौन है जिम्मेदार?

बीजेपी विधायक अमित साटम ने शिवसेना से पूछा है कि आखिर मुंबई फायर विभाग में कौन बिल्डरों से करोड़ों की वसूली कर रहा था? साटम ने साथ ही संबंधित अधिकारियों की CID जांच की मांग भी की है.

शिवसेना की स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन यशवंत जाधव ने घोटाले के आरोपों को सिद्ध करने की चुनौती दी है. जाधव का कहना है कि, "आम लोगों पर टैक्स का बोझ न पड़े इसलिए आज की बैठक में हमने सर्क्युलर का विरोध कर निर्णय पर स्थगिति लाई. लेकिन बीजेपी ने बैठक से वॉक आउट किया. बीजेपी लोगो का भला नही बल्कि सिर्फ राजनीति करना चाहती है."
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कांग्रेस ने भी उठाए सवाल

विपक्षी कांग्रेस नेता रवि राजा ने भी कहा है कि, "इतने सालों तक फायर सर्विस फी को अनदेखा कर फायर NOC देना लोगों की जान से खिलवाड़ है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधितों पर कार्रवाई होनी चाहिए."

BMC के जॉइंट कमिश्नर रमेश पवार ने एक प्रपोजल में साफ कहा है कि, "फायर विभाग कानून को समझने में विफल रहा जिससे BMC को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. जिसके चलते सहमति बनने पर संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी." हालांकि इसके बावजूद BMC कमिश्नर आई. एस. चहल ने अब तक इन अधिकारियों के जांच के आदेश क्यों नही दिए ये शोध का विषय है.

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