उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बुलंदशहर जिले में 2018 में स्याना कस्बे में हुई हिंसा के आरोपी सचिन अहलावत (Sachin Ahlawat) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जिले के बीबी नगर मंडल का अध्यक्ष बना दिया है. 3 दिसंबर 2018 को स्याना के महाव गांव में कथित गोवंश बरामद होने के बाद भड़की हिंसा में स्याना थाने पर तैनात SHO सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में तीन मुकदमा दर्ज हुआ था और 44 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी. इनमें 38 आरोपियों को समय-समय पर जमानत मिल गई और वह अब जेल के बाहर हैं.
हिंसा के आरोपी से BJP पदाधिकारी का सफर
2018 में बुलंदशहर के स्याना कस्बे में भड़की हिंसा में उग्र भीड़ ने तत्कालीन स्याना एसएचओ सुबोध कुमार सिंह की निर्मम हत्या कर दी थी. बेकाबू भीड़ ने तब घटनास्थल पर मौजूद चिंगरावटी पुलिस चौकी को भी आग के हवाले कर दिया था. हिंसा के दौरान खींचे गए फोटोग्राफ और वीडियो की मदद से आरोपियों की पहचान करते हुए पुलिस ने सचिन अहलावत को भी वांछित अभियुक्तों की श्रेणी में डाल दिया था. उसके ऊपर बलवा और सरकारी कार्य में बाधा समेत गंभीर धाराएं लगी.
घटना के बाद फरार चल रहे बाकी अभियुक्तों की फोटो के साथ सचिन अहलावत की फोटो के पोस्टर पुलिस ने जारी किए थे. उस समय अहलावत के पास बीजेपी के स्याना मंडल के सचिव का पद था.
हिंसा के घटना की जांच कर स्थानीय पुलिस ने जब नकेल कसी तो अहलावत ने घटना के तकरीबन 1 महीने बाद आत्मसमर्पण किया था.
मूलतः किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले अहलावत का राजनीति से गहरा नाता रहा है. उसकी पत्नी महाव गांव की प्रधान है. वह खुद अब बीवीनगर मंडल का अध्यक्ष है. हालांकि, पद मिलने के बाद हिंसा को लेकर उसकी कथित संलिप्तता और बीजेपी के उसके बढ़ते कद को लेकर एक बार फिर चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
क्विंट हिंदी ने जब सचिन अहलावत के नंबर पर बात करने की कोशिश की तो फोन कबीर सिंह नाम के व्यक्ति ने उठाया. उसने अपना परिचय सचिन अहलावत के बड़े भाई के रूप में किया. सचिन के हिंसा में संलिप्तता को लेकर उठ रहे सवालों पर कबीर सिंह ने कहा कि उसका भाई वहां मौके पर मौजूद था लेकिन हिंसक भीड़ का हिस्सा नहीं था. "मौके पर लिए गए फोटो और वीडियो में पुलिस को वह (सचिन) दिखा और बिना जांच उसे आरोपी बना दिया गया," कबीर सिंह ने कहा.
हिंसा के मामले में पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में सचिन अहलावत की संलिप्त के बारे में जिक्र था. चार्जशीट के अनुसार, अहलावत ने घटना के दिन सुबह 8:55 पर फोन कर घटना के मुख्य आरोपी योगेश राज को गोकशी की घटना के बारे में जानकारी दी थी.
पुलिस के द्वारा निकाले गए कॉल डिटेल रिकॉर्ड के मुताबिक, मुख्य आरोपी योगेश राज ने घटना के दिन सुबह 9:00 बजे से लेकर दोपहर के 1:26 तक कई और आरोपियों को फोन कर मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए थे.
सचिन अहलावत के भाई कबीर सिंह ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा. "जहां सचिन खड़ा था, वहीं पास में दो-तीन पुलिस वाले खड़े थे उनमें से मौजूद वहां एक पुलिस कर्मी ने सचिन का फोन लेकर योगेश राज को फोन किया था."
ट्रायल की चाल धीमी, 4 साल में चार गवाह हुए पेश
3 दिसंबर 2018 के हिंसा की घटना के बाद पुलिस की तरफ से दर्ज पहले मुकदमे में 27 आरोपियों को नामांकित किया गया था. भारतीय दंड संहिता की धारा (IPC) 147, 148, 149, 124 A, 332, 333, 353, 341, 336, 307, 302 समेत एक दर्जन से ज्यादा गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था.
विवेचना के दौरान कई और आरोपियों के नाम सामने आए, जिनकी बाद में गिरफ्तारी हुई. घटना के 90 दिन बीतने के बाद पुलिस ने 3 मार्च 2019 को इस मामले में चार्जशीट फाइल की. ट्रायल के दौरान अभियोजन द्वारा कार्रवाई में शिथिलता बरते जाने का आरोप लगा था, जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से 2020 में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर यशपाल सिंह राघव की नियुक्ति हुई. इसी दौरान कई आरोपियों को कोर्ट से जमानत भी मिल गई थी. जिसके बाद राज्य सरकार की काफी किरकिरी हुई थी.
बकौल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर यशपाल सिंह राघव, आरोपियों के वकीलों ने योजनाबद्ध तरीके से डिले कर ट्रायल को प्रभावित करने की कोशिश की है. "कुल 44 आरोपियों के 11 डिफेंस काउंसिल हैं. यह लोग कभी तबियत तो कभी कुछ और कारण बताकर आगे की तारीख ले लेते हैं. डिफेंस काउंसिल इस "डिले टैक्टिक" को लेकर हम और कोर्ट दोनों सचेत हैं."
ट्रायल के वर्तमान स्थिति के बारे में बात करें तो अभियोजन की तरफ से चार गवाहों का कोर्ट में परीक्षण कर लिया गया है. इसमें तीन पुलिस और एक प्राइवेट गवाह है. स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की माने तो सारे गवाहों ने अभियोजन के कथन के समर्थन में ही बयान दिया है. यशपाल सिंह राघव ने क्विंट हिंदी से कहा "हमारा केस मजबूत है और इसमें हम 100 फीसदी सजा दिलवाएंगे,"
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