नागरिकता कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों से प्रदर्शन जारी हैं. इन प्रदर्शनों ने कई बार हिंसक रूप भी लिया और प्रदर्शनकारियों और पुलिस की तरफ से जमकर पत्थरबाजी हुई. इस हिंसा के लिए उपद्रवियों के अलावा पुलिस पर भी कई गंभीर आरोप लगे. गोली लगने से कई मौते हुईं, लेकिन पुलिस ने साफ इनकार किया कि उनकी तरफ से फायरिंग नहीं हुई. अब इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को नोटिस जारी कर दिया है.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी को नोटिस जारी कर मानवाधिकार आयोग ने पिछले कुछ हफ्तों में हुई हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. बता दें कि मानवाधिकार आयोग में उत्तर प्रदेश में हो रही हिंसा को लेकर शिकायत दर्ज की गई थी. जिसमें यहां पुलिस की बर्बरता का भी जिक्र किया गया था. जिसके बाद आयोग ने इसका संज्ञान लेते हुए ये नोटिस जारी किया.
बिजनौर पुलिस ने माना- उनकी गोली से हुई मौत
बता दें कि उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गोली चलने की कई घटनाएं सामने आई थीं. पुलिस ने इस हिंसा का जिम्मेदार बाहर तत्वों को बताया था. साथ ही बताया कि आपसी फायरिंग में ही लोग घायल हुए हैं और उनकी मौते हुई हैं. लेकिन आखिरकार बिजनौर पुलिस ने माना कि एक युवक की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है. 20 दिसंबर को बिजनौर के नहटौर में जुमे की नमाज के बाद CAA के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुआ था, जहां दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी. बताया गया कि खुद की रक्षा के लिए एक सिपाही ने गोली चलाई, जो हमलावर उपद्रवी सुलेमान (22) को लगी, जिससे उसकी मौत हो गई.
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