कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की घटनाओं में 'मानवाधिकारों उल्लंघन' की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को सौंपने संबंधी आदेश वापस लेने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने सोमवार को यह आदेश वापस लेने का बंगाल सरकार का आवेदन खारिज कर दिया.
कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान ‘मानवाधिकार उल्लंघन’ की घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने जनहित याचिकाओं पर दिए गए आदेश को वापस लेने का पश्चिम बंगाल सरकार का आवेदन खारिज कर दिया. इन जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक हमलों की वजह से लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा, उनके साथ मारपीट की गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कार्यालयों में लूटपाट की गई.
बेंच ने 18 जून को पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए यह आदेश सुनाया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि इन घटनाओं से 10 जून दोपहर 12 बजे तक 3243 लोग प्रभावित हुए.
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने रिपोर्ट में आगे जिक्र किया था कि कई मामलों की शिकायतों को पुलिस अधीक्षकों या संबंधित पुलिस थानों को भेजा गया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के साथ जस्टिस आईपी मुखर्जी, जस्टिस हरीश टंडन, जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस सुब्रत तालुकदार शामिल हैं.
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