मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर के बक्सवाहा गांव से एक मरीज को ठेले पर ले जाने की तस्वीर सामने आयी है, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गयी. परिजनों का कहना है कि आर्थिक तंगी की वजह से वह ठेले पर मरीज को लेकर अस्पताल गये थे. वहीं, BMO ने कहा कि परिजनों ने शव वाहन की मांग नहीं की थी.
क्या है मामला?
दरअसल, महेंद्र बंसल कैंसर से पीड़ित थे. लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से उनके परिजन उन्हें ठेल पर लेकर अस्पताल पहुंचे और चिकित्सकों ने भी उनका इलाज ठेल पर ही किया.
मृतक महेंद्र बंसल की पत्नी जसोदा ने कहा, "उन्हें कैंसर था, और उनका इलाज दमोह और जबलपुर में चल रहा था, लेकिन बाद में डॉक्टरों ने उन्हें घर ले जाने की सलाह दी."
घर में जब तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी, और पैसे की व्यवस्था नहीं हो सकी, तो हम महेंद्र को ठेले पर ही लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने ठेले पर ही उन्हें इंजेक्शन लगाया और बाद में उनकी मौत हो गयी.जसोदा, मृतक महेंद्र बंसल की पत्नी
'शव वाहन की डिमांड नहीं की गई'
इस पूरे मामले पर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (BMO) ललित उपाध्याय ने कहा, "शव वाहन की डिमांड नहीं की गई और यह नगर पालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है. मृतक के परिजन जल्दी-जल्दी में शव लेकर चले गये."
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