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छत्तीसगढ़: 2 साल में 440 मुठभेड़, मारे गए 300 माओवादी

सरकार ने कहा विकास की नीतियों के कारण और सुरक्षाबलों की सफल कार्रवाई के कारण नक्सलियों का दबदबा घट रहा है.

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छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बल ने कार्रवाई कर दो साल में 300 माओवादियों को मार गिराया है. विधानसभा में मंगलवार को राज्य के गृह मंत्री ने इसकी जानकारी दी. गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने सदन को बताया कि साल 2016, 2017 और साल 2018 में सुरक्षा बलों ने 440 मुठभेड़ में लगभग 300 नक्सलियों को मार गिराया, जिनमें से 225 कुख्यात माओवादियों के शव भी बरामद किए गए हैं.

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दरअसल, राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस महीने की 18 तारीख को सुकमा जिले के एलारमड़गु नक्सली हमले का मामला उठाया था. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल, सत्यनारायण शर्मा और धनेंद्र साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ उग्रवाद से बुरी तरह प्रभावित है. कांग्रेस के सदस्यों ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित है. लगातार नक्सलियों की हिंसक घटनाओं के कारण प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई है और आम जीवन प्रभावित है.शासन की विकास योजनाएं वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में मात्र कागजों तक ही सीमित है.

विपक्षी दल ने इस मुद्दे पर काम रोककर चर्चा कराए जाने की मांग की. इसके जवाब में राज्य के गृह मंत्री ने आंकड़े पेश किए.

पैकरा की दी गई जानकारी के मुताबिक

  • इस दौरान 2160 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया.
  • 577 हथियार बरामद किये गये.
  • 597 बारूदी सुरंग के बारे में पता लगाया गया.
  • आत्मसमर्पण और पुर्नवासी नीति से प्रभावित होकर इस अवधि में 1589 नक्सलियों ने आत्समर्पण किया है.
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पैकरा ने कहा कि बीते कुछ सालों में नक्सलियों की गतिविधियों पर लगाम लगाया गया है. शासन की विकास की नीतियों के कारण और सुरक्षाबलों की सफल कार्रवाई के कारण नक्सलियों का दबदबा घट रहा है.

मंत्री ने कहा साल 2017 में ही लगातार सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के कोर इलाकों में सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर में आॅपरेशन प्रहार 1 और 2 चलाकर नक्सलियों के सालों से सुरक्षित गढ़ों को भेदने में सफलता पाई है. उन्होंने बताया कि साल 2018 में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच अब तक 32 मुठभेड़ें हुई है. जिसमें दर्जनों नक्सलियों के मारे जाने की सूचना है और पुलिस ने 13 माओवादियों के शव भी बरामद किये हैं.
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मंत्री ने कहा कि बीते रविवार को एलारमड़गु गांव के जंगल में 4 घंटे तक मुठभेड़ हुई. इसमें एसटीएफ और डीआरजी के जवानों ने जिस वीरता से नक्सलियों का मुकाबला किया वो ऐतिहासिक है. इस दौरान डीआरजी के 2 जवान सहायक आरक्षक मड़कम हांदा और सहायक आरक्षक मुकेश कड़ती शहीद हो गए.

पैकरा ने कहा कि ये कहना सही नहीं है कि राज्य शासन की नक्सलियों के खिलाफ कोई नीति नहीं है और नक्सली लगातार हावी है.

(-इनपुट भाषा से)

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