कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी (Suryakant Tiwari) के आरोपों ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की सियासत में भूचाल ला दिया है. आयकर विभाग के छापे के बाद सूर्यकांत तिवार ने प्रदेश में सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया है. तिवारी का आरोप है कि अयाकर अधिकारियों ने उनसे कहा कि यदि वह सरकार गिराने के लिए कांग्रेस विधायकों के साथ अपने संबंधों का उपयोग करते हैं तो वह मुख्यमंत्री बन सकते हैं. सूर्यकांत के इन आरोपों के बाद छत्तीसगढ़ की सियासत गर्मा गई है. कांग्रेस और बीजेपी में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.
सूर्यकांत तिवारी का बड़ा आरोप
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सूर्यकांत तिवारी ने आरोप लगाया है कि तलाशी के दौरान उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात एक सरकारी अधिकारी को गलत बयान देकर फंसाने से इनकार कर दिया था.
"30 जून को छापे के दौरान आईटी अधिकारियों ने मुझे और मेरे परिवार के सदस्यों को धमकाया. आयकर अफसरों ने मुझपर दबाव बनाया कि मैं किसी प्रकार से अपने व्यवसाय में मुख्यमंत्री कार्यालय की उप सचिव सौम्या चौरसिया का नाम जोड़ दूं और उनके खिलाफ झूठा बयान दूं."सूर्यकांत तिवारी
तिवारी ने आगे कहा कि चौरसिया से उनके पारिवारिक संबंध हैं, उनके घर के लोग उन्हें जानते-पहचानते हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा कि आयकर अधिकारी चाहते थे कि मैं चौरसिया को फंसाऊं. इसके साथ ही आयकर अधिकारियों ने सरकार गिराने पर मुख्यमंत्री बनने की पेशकश भी की थी.
"मुझे बताया गया था कि जिन कांग्रेस विधायकों को मैं जानता हूं, अगर मैं उनकी मदद करता हूं, तो उन्हें सरकार बनाने के लिए बीजेपी का समर्थन मिलेगा."सूर्यकांत तिवारी
रमन सिंह पर साधा निशाना
कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर भी हमला बोला है. उन्होंने कहा कि किसी के यहां आयकर का छापा पड़ जाने से वो अपराधी नहीं हो जाता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि,
"डॉ. रमन सिंह ने मुझे गिरफ्तार करने को कहा, मैं जेल जाने को तैयार हूं. मगर जेल में मैं जिस सेल में रहूंगा, बगल की सेल में डॉ रमन को भी रहना होगा."
गौरतलब है कि आयकर विभाग के छापे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कांग्रेस सरकार में कथित तौर पर हो रही गड़बड़ियों की तरफ उंगली उठाते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस्तीफे और सूर्यकांत तिवारी के गिरफ्तारी की मांग की है.
कांग्रेस-बीजेपी में आरोप प्रत्यारोप जारी
वहीं इस मामले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने है. कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कोयला व्यापारी के बयान से पता चलता है कि बीजेपी छत्तसीगढ़ में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तिवारी के बयान से यह साफ है कि गैर-बीजेपी शासित राज्यों में सरकार गिराने के लिए बीजेपी किसी भी स्तर तक गिर सकती है. बीजेपी कितनी भी कोशिश कर ले, छत्तीसगढ़ में उसके प्रयास सफल नहीं होंगे.
वहीं प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि तिवारी के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारे पर आरोप लगाए हैं और ये निराधार हैं.
“भूपेश बघेल को अपनी नियति को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए. उनके एजेंट बेनकाब हो गए हैं. इस तरह के निराधार बयान उन्हें बचाने वाले नहीं हैं. IT विभाग की जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है."
कौन हैं कोयला व्यापारी सूर्यकांत तिवारी?
राजनीतिक रसूख वाले सूर्यकांत तिवारी मूल रूप से छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के रहने वाले हैं. सूर्यकांत तिवारी का कहना है कि वो साल 2002 से कोल ट्रांसपोर्टिंग बिजनेस में हैं. वहीं जानकारों की मानें तो सूर्यकांत तिवारी छत्तीसगढ़ की राजनीति में हर पार्टी के नेताओं के साथ उनके अच्छे संबंध रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि, "सूर्यकांत तिवारी सिस्टम की नब्ज जानते हैं, वो ये जानते हैं कि कौन सा काम किस तरीके से करवाया जा सकता है. किन लोगों को मक्खन लगाना है और किनको नहीं, इसकी अच्छी समझ है. इसीलिए सरकारों के बदलने से उनके बिजनेस पर कोई खास असर नहीं पड़ा. जो सत्ता में बैठा वो उसके सहयोगी हो गए, हालांकि विपक्ष को भी साधकर चलते रहे."
कांग्रेस के करीब, बीजेपी से भी दोस्ती
सूर्यकांत तिवारी के कांग्रेस नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं. तिवारी कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे विद्याचरण शुक्ल के करीबी माने जाते थे. इसके बाद में वे अजीत जोगी के साथ भी नजर आए. अजीत जोगी के आशीर्वाद से तिवारी ने महासमुंद नगर पालिका का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए थे. उसके बाद कभी राजनीति में मुखर नहीं हुए और व्यापार में ही आगे बढ़ते गए.
कांग्रेस सरकार जाने के बाद भी तिवारी के रुतबे में कमी नहीं हुई. सूर्यकांत तिवारी की रमन सरकार में अच्छी पैठ थी. हालांकि, ताकत नहीं मिली. पैसों में आगे बढ़े लेकिन पॉलिटिकल पावर का बहुत इस्तेमाल नहीं कर पाए. भूपेश बघेल सरकार में इनकी पैठ पैसे और पावर दोनों में हुई.
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