छत्तीसगढ़ सरकार ने कबीरधाम को देश का ऐसा पहला जिला बताया है जहां मोतियाबिंद से पीड़ित सभी लोगों का इलाज हो चुका. सरकार ने कहा है कि साल 2025 तक छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाया जाने का प्रयास किया जा रहा है. नवम्बर 2022 तक रायपुर, बलौदाबाजार और बालोद वहीं दंतेवाड़ा व सूरजपुर को दिसम्बर तक दृष्टिहीनता मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य बनाया गया है.
राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान
सितम्बर-2021 में दोनों आंखों में मोतियाबिंद के कारण दृष्टिहीन 1128 और एक आंख में मोतियाबिंद दृष्टिहीनता (Blindness) वाले 2124 व्यक्ति चिन्हांकित किए गए थे. स्वास्थ्य विभाग ने पिछले अगस्त महीने में इन सभी लोगों के ऑपरेशन का लक्ष्य हासिल कर लिया है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए 11 नवंबर 2022 को हुई "राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान" की समीक्षा बैठक में भारत सरकार के अधिकारियों ने इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ की तारिफ की.
राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश में अब तक मोतियाबिंद (Cataracts) की वजह से दृष्टिहीन 59 हजार 379 लोगों की सफल सर्जरी की जा चुकी है. इनमें से 19 हजार 705 ऑपरेशन शासकीय अस्पतालों में, 14 हजार 630 एनजीओ के माध्यम से और 25 हजार 44 ऑपरेशन निजी अस्पतालों में किए गए हैं. चालू वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित कुल ऑपरेशन के लक्ष्य का 48 प्रतिशत अक्टूबर महीने तक हासिल किया जा चुका है. प्रदेश में इस साल मोतियाबिंद के कारण दृष्टिहीन कुल एक लाख 25 हजार लोगों के ऑपरेशन का लक्ष्य है.
छत्तीसगढ़ सरकार का दावा 2025 तक मोतियाबिंद से राज्य को मुक्ति
डॉ. मिश्रा ने बताया कि शुक्रवार को हुई वर्चुअल समीक्षा बैठक में प्रदेश में "राष्ट्रीय नेत्र ज्योति अभियान" की प्रगति की केंद्र सरकार के अधिकारियों ने सराहना की है. सभी जिलों में मोतियाबिंद की वजह से दृष्टिहीन लोगों के तेजी से ऑपरेशन किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभियान के तहत रायपुर, बलौदाबाजार-भाटापारा और बालोद को इस साल नवम्बर तक तथा रायगढ़, दंतेवाड़ा एवं सूरजपुर को दिसम्बर तक मोतियाबिंद मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य रखा है.
राज्य सरकार द्वारा ये दावा किया जा रहा है कि साल-2025 तक छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए प्रदेश में मोतियाबिंद पीड़ित 4 लाख लोगों को चिन्हांकित किया गया है. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा आखों की समस्या से परेशान रोगियों की सूची तैयार की जा रही है. नेत्र सहायक अधिकारियों के माध्यम से चयनित विकासखंडों में तैयार सूची के आधार पर रोगियों की पुष्टि कर मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए जा रहे हैं.
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