छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सरगुजा जिले मे संचालित नसबंदी शिविर मे हुए नियम-विरुद्धता को लेकर जांच के आदेश दिए हैं, जहां एक सर्जन ने सात घंटे में 101 महिलाओं की कथित तौर से ट्यूबेक्टोमी सर्जरी की.
एक अधिकारी ने बताया कि 27 अगस्त को राजधानी रायपुर से 300 किलोमीटर दूर स्थित जिले के मैनपाट विकासखंड के नर्मदापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था.
स्थानीय समाचार पत्रों ने शिविर में कथित नियम-विरुद्धता की सूचना दी थी, जिसके बाद विभाग हरकत में आया और सर्जन सहित एक स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया.
राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव डॉ आलोक शुक्ला ने बताया कि नसबंदी शिविर की शिकायतों के बाद जांच के आदेश दिए गए हैं, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
"शिविर में एक (सरकारी) सर्जन द्वारा कुल 101 सर्जरी की गईं. जिन महिलाओं की सर्जरीे हुई, उनकी स्थिति सामान्य बताई गई. हालांकि, सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार, एक दिन में एक सर्जन अधिकतम 30 सर्जरी कर सकता है और इसलिए, यह पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया गया है कि दिशानिर्देशों का उल्लंघन क्यों किया गया था,"डॉ आलोक शुक्ला
सर्जन का क्या कहना था?
उन्होंने कहा कि सर्जन ने दावा किया है कि बड़ी संख्या में महिलाएं इस नसबंदी प्रक्रिया के लिए आई थीं और उन्होंने यह कहते हुए ऑपरेशन करने का आग्रह किया कि वे दूरदराज के गांवों से आई हैं और अक्सर यात्रा नहीं कर सकती है.
इससे पहले, सरगुजा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) पीएस सिसोदिया ने 29 अगस्त को शिविर में ऑपरेशन करने वाले सर्जिकल विशेषज्ञ डॉ जिबनुस एक्का और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) डॉ आरएस सिंह को इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया है.
"27 अगस्त को दोपहर 12 बजे से शाम 7 बजे तक सर्जरी की गई, एक बार जांच समिति अपनी रिपोर्ट सौंप देगी, तो आगे की कार्रवाई की जाएगी. दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी."सिसोदिया ने कहा,
इसी तरह नवंबर 2014 में, बिलासपुर जिले में सरकार द्वारा आयोजित नसबंदी शिविर में समान प्रक्रिया से गुजरने के बाद कम से कम 83 महिलाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, और उनमें से 13 की मृत्यु हो गई थी, जिससे सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रम के खिलाफ मुफ्त नसबंदी की व्यापक आलोचना हुई थी.
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