गुजरात के अहमदाबाद से एक हैरान करने वाला वाकया सामने आया है. 15 मई एक कोरोना वायरस पॉजिटिव शख्स का शव एक बस स्टैंड से बरामद हुआ. द क्विंट से बातचीत में मृतक के बेटे ने बताया कि 67 साल का ये शख्स 10 मई को अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में एडमिट हुआ था, उसके दो दिन बाद कोरोना पॉजिटिव पाया गया.
"15 मई को पुलिस की तरफ से हमें फोन आया, उन लोगों ने बताया कि मेरे पिता का शव BRTS स्टेशन पर मिला है.''
पुलिस ऑफिशियल्स ने द क्विंट को बताया कि मृतक में लक्षण नहीं दिख रहे थे, उसने होम आइसोलेशन के लिए फॉर्म भरा था. उसके बाद अथॉरिटीज की तरफ से अरेंज किए गए बस से उसे हॉस्पिटल से लाया गया था.
अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में बतौर OSD तैनात डॉक्टर एमएम प्रभाकर का कहना है, "मरीज में बहुत ही हल्के लक्षण थे और नए प्रोटोकॉल के मुताबिक, उनसे होम क्वॉरंटीन के लिए कहा गया था, अस्पताल से उन्हें 14 मई को छुट्टी दे दी गई थी. जब उन्हें डिस्चार्ज किया गया था तो वो फिट नजर आ रहे थे.''
डॉक्टर प्रभाकर ने कहा, "अस्पताल के ट्रांसपोर्ट सिस्टम के जरिए उन्हें अस्पताल से घर ले जाया गया था. शायद उनके घर के पास वाली सड़क भीड़भाड़ वाली थी, ऐसे में उन्हें पास के ही बस स्टैंड पर उतार दिया गया था.'' प्रभाकर आगे कहते हैं कि, ''ये साफ नहीं है कि उनके परिवार के किसी सदस्य को उनके डिस्चार्ज के बारे में बताया गया था या नहीं.''
आखिर शख्स को बस स्टैंड पर क्यों उतार दिया गया? उसके डिस्चार्ज के बारे में परिवार को क्यों नहीं बताया गया? पुलिस कह रही है कि ये सारी बातें जांच की जा रही हैं.
मृतक के बेटे ने कहा, ''कोरोना संक्रमित होने के बाद भी परिवार ने अंतिम संस्कार कर दिया है, हमें उनके शरीर को प्लास्टिक में लपेटने के लिए कहा गया था.''
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
गुजरात के सीएम रूपाणी ने इस मामले की तत्काल जांच के आदेश दिए हैं. जांच स्वास्थ्य विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव गुप्ता के नेतृत्व में की जाएगी. उन्हें 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है. इस बीच निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने रूपानी प्रशासन पर आरोप लगाए हैं.
मेवाणी ने ट्वीट किया, “रूपाणी को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा देना चाहिए, ये सिर्फ और सिर्फ आपराधिक है.”
मेवाणी ने कहा, गुजरात मॉडल का खुलासा हो गया है, ''जिम्मेदारी लेने की बजाय सरकार सिर्फ हेडलाइन मैनेज करने में लगी है.''
लापरवाही का ये पहला मामला नहीं
अहमदाबाद सिविल अस्पताल में घोर लापरवाही का ये पहला मामला नहीं है. इससे पहले 24 अप्रैल को करीब 25 कोरोना पीड़ितों को 6 घंटे सड़क पर बिताने पड़े थे क्योंकि अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया था. फिर एक पीड़ित ने अपना वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाला, जिसके बाद प्रशासन की नींद खुल सकी थी.
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