उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के 30 से ज्यादा शिक्षकों की अब तक कोविड संक्रमण से मौत हो चुकी है. जान गंवाने वाले लोगों में रिटायर्ड शिक्षकों से लेकर स्टाफ तक के लोग शामिल हैं. कुलपति तारिक मंसूर ने कोरोना के चलते कुछ दिन पहले अपने बड़े भाई को खो दिया. 8 मई को AMU के लॉ फैकल्टी के डीन प्रोफेसर शकील समदानी का कोरोना महामारी से निधन हो गया.
AMU के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बड़ी संख्या में कर्मचारी उपचार के लिए भर्ती हैं. अपने लेटर में कुलपति ने बताया कि पिछले 18 दिनों में यूनिवर्सिटी के 18 रिटायर्ड शिक्षक और 16 शिक्षकों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा, AMU के कई दूसरे कर्मचारी भी इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं.
यूनिवर्सिटी में इतनी मौतों के बाद कुलपति तारिक मंसूर ने 9 मई को ICMR को चिट्ठी लिखकर कैंपस में फैले कोरोना वायरस स्ट्रेन पर शोध करने का अनुरोध किया है. लेटर में कुलपति ने लिखा, “ये संदेह को जन्म दे रहा है कि एक खास वायरल वेरिएंट अलीगढ़ के सिविल लाइन्स क्षेत्र में फैल सकता है, जहां AMU और आसपास के कई इलाके स्थित हैं.”
कुलपति ने लेटर में आगे ICMR से AMU लैब से भेजे गए सैंपल्स पर एनालिसिस करने का अनुरोध किया है. “मैं आपसे विनम्र निवेदन करता हूं कि ICMR के संबंधित विभाग को निर्देश दें कि हमारी लैब से भेजे गए कोविड नमूनों का विश्लेषण करने के लिए, अलीगढ़ में फैलने वाले कोरोना वायरस के किसी खास वायरल वेरिएंट की जांच करें, जिसकी गंभीरता ज्यादा हो सकती है, ताकि हम इसे रोकने के लिए दूसरे उपायों पर विचार कर सकें.”
सुनसान हुआ AMU कैंपस
सामाजिक कार्यकर्ता प्रो जसीम मोहम्मद ने IANS को बताया, “यूनिवर्सिटी प्रशासन विफल हो गया है, मेडिकल कॉलेज प्रणाली ध्वस्त हो गई है. वीसी ने ऑक्सीजन की मांग करने की भी जहमत नहीं उठाई है. उन्होंने किसी भी क्वार्टर से मदद नहीं मांगी है. सौ लोग पहले ही मर चुके हैं.एक महीने में अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो 100 और मौतें हो सकती हैं.”
कैंपस सुनसान है और यहां कोई कक्षाएं नहीं हो रही हैं. यूनिवर्सिटी के एक अधिकारी जीशान ने कहा कि अधिकांश छात्रावास छोड़ चुके हैं. अलीगढ़ छोड़ने वाले कुछ सेवानिवृत्त फैकल्टी सदस्यों की उनके होमटाउन भोपाल, हैदराबाद जैसे शहरों में मृत्यु हो गई है.
(IANS के इनपुट्स के साथ)
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