कोरोना वायरस खतरे के बीच राज्यों के सामने आर्थिक संकट की समस्या उत्पन्न हो गई. झारखंड में असंगठित मजदूरों की संख्या लाखों की तादाद में है. जहां मजदूरों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है. वहीं, राज्य में लगातार कोरोना संक्रमितों की संख्या भी बढ़ रही है और मेडिकल सुविधाएं सीमित हैं. राज्य में इस वक्त लॉकडाउन से एग्जिट करने की चुनौती के साथ-साथ कोरोना खतरे से निपटने की तैयारी की भी जरूरत है. दोनों ही मोर्चे पर झारखंड फिलहाल पिछड़ता दिख रहा है.
एग्जिट प्लान को लेकर हम स्पेसिफिक टास्क फोर्स बना रहे हैं. जो इसके लिए ड्राफ्ट तैयार करेंगे और उसे लागू करने पर विचार किया जाएगा.स्वास्थ्य सचिव नितिन कुलकर्णी
स्वास्थ्य सचिव के इस बयान से साफ है कि झारखंड सरकार के पास अभी किसी तरह का एग्जिट प्लान तैयार नहीं है. ऐसे में झारखंड के कारोबारियों और मजदूरों को अभी और मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.
झारखंड के 11 जिलों में कोरोना का संक्रमण
झारखंड के 11 जिलों में कोरोना संक्रमण का प्रभाव देखा जा रहा है. इनमें राज्य की राजधानी रांची रेड जोन में दिख रही है. यहां सबसे अधिक 78 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं. वहीं, इसके बाद बोकारो का नंबर है, जहां 10 मामले सामने आए हैं. ये दोनों जिले घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं और ये इंडस्ट्रियल क्षेत्र हैं ऐसे में यहां मजदूर काफी प्रभावित हैं.
29 अप्रैल तक 11 जिलों में कोविडं-19 से संक्रित लोगों के आंकड़े
- रांची- 78
- बोकारो- 10
- हजारीबाग- 3
- धनबाद- 2
- गिरिडीह- 1
- सिमडेगा- 2
- कोडरमा- 1
- देवघर- 2
- गढ़वा- 3
- पलामू- 3
- जमताड़ा- 2
इसके अलावा पूरे राज्य में क्वॉरंटीन सेंटर में 11,386 लोग हैं. जबकि 80,408 लोग हम क्वॉरंटीन हैं. संक्रमण का दायरा समझने के लिए जरा इन आंकड़ो को देखिए.
30 अप्रैल को डायल 100 पर मेडिसिन और एंबुलेंस के लिए आए कॉल
- रांची- 14
- बोकारो-3
- गुमला-2
- पलामू-1
- धनबाद-1
- चतरा-1
कोविड-19 के इलाज के लिए राज्य में बेड और वेंटिलेटर की संख्या
- आईसीयू बेड- 209
- नॉन आईसीयू बेड- 1448
- वेंटिलेटर- 206
झारखंड लौटेंगे 10 लाख मजदूर और छात्र
झारखंड के सीएम हेमंत सोरोन ने 26 अप्रैल को पीएम मोदी को पत्र लिखकर छात्रों और प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए लॉकडाउन नियमों ढील देने की मांग की थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसके लिए गाइडलाइन जारी की है. इससे 10 लाख मजदूरों और छात्रों के राज्य लौटने का रास्ता साफ हो गया है. सरकार अब उन्हें लाने का प्लान बना रही है. हालांकि, प्रवासी मजदूर जब राज्य लौटेंगे तो इससे कोरोना संक्रमितों की संख्या भी बढ़ने के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
बर्बादी की कगार पर व्यापार और कारोबार
झारखंड के रांची, बोकारो, धनबाद, जमशेदपुर, गिरीडीह जैसे क्षेत्र पूरी तरह से इंडस्ट्रियल क्षेत्र हैं. लेकिन यहां सारे काम ठप पड़े हैं. धनबाद में बीसीसीएल की कोलियरियों में कोयले का उत्पादन और ट्रांसपोर्टिंग पूरी तरह से ठप है, जिससे हजारों असंगठित मजदूरों की आर्थिक स्थिति दयनीय है.जिससे कोयला उद्योग से जुड़े मजदूर बेरोजगार हो गये हैं और इनके पास रोजगार का भी कोई दूसरा साधन नहीं है.
वहीं, गिरिडीह के स्टील उद्योग की स्थिति भी बिगड़ रही है, यहां सबसे बड़े चाईना प्लांट ने मजदूरों के भुगतान पर हाथ खड़े कर दिये हैं.
जमशेदपुर में ज्यादातर आबादी यहां के छोटे-बड़े उद्योग पर निर्भर करती है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से सब ठप है. यहां तक की बड़ी फैक्ट्रियां भी अब मुश्किलों में दिख रही हैं. एक ओर जहां कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर उद्योग को बचाने में लगे हैं. जमशेदपुर के लघु उद्योग भारती के महासचिव समीर सिंह का कहना है कि,
MSME सैक्टर देश के जीडीपी में 30 फीसदी का योगदान देता है. इसके साथ ही 12 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है. लेकिन अब ये कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से तबाह होने जा रहा है. अगर इस सैक्टर के लिए राहत की घोषणा नहीं हुई ये सब खत्म हो जाएगा.आर्थिक संकट की वजह से लोगों को भुगतान करने में परेशानी हो रही है. फैक्ट्री की लागत, सुरक्षा के खर्च, बैंक ब्याज देना अब प्रश्न चिन्ह बन गया है.
झारखंड में कोरोना संक्रमितों की संख्या 29 अप्रैल तक 107 थी. 30 अप्रैल को को खबर लिखे जाने तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से बुलेटिन जारी नहीं किया है. लेकिन गुरुवार को रांची में संक्रमण के तीन नए मामले आए हैं, जिसके बाद संक्रमितों की संख्या 110 हो चुकी है.
जाहिर है कोरोना का खतरा अभी राज्य में टला नहीं है. ऐसे में सरकार के लिए लॉकडाउन एग्जिट प्लान आगे कुआं पीछे खाई जैसा है. ऐसे में रास्ता यही है कि ग्रीन जोन वाले इलाकों में छूट दी जाए और रेड जोन में सख्ती.
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