खाने के इंतजार में कावेरी नदी के पुल पर सैकड़ों लोगों की लंबी लाइन लगी हुई है. पिछले एक सप्ताह से तमिलनाडु के त्रिची जिले में ये नजारा है और आने वाले दिनों में भी इसके कम होने की कोई उम्मीद नहीं है.
लॉकडाउन के बाद, जिला प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों के रहने और खाने की व्यवस्था की है, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, जिन्हें ये सुविधा नहीं मिली है, यहां लोग इस उम्मीद में बैठे हैं की शायद कोई आकर खाना दे दे.
क्विंट ने जिला प्रशासन के एक सूत्र से ये समझने की कोशिश की कि इस दिशा में क्या काम किया जा रहा है, ताकि NGO और दूसरे लोग जो मदद करना चाहते हैं, वे उन लोगों तक पहुंच सकें.
28 अप्रैल तक, त्रिची में कोरोना पॉजिटिव की संख्या 51 थी, 42 लोग अब तक रिकवर कर चुके हैं.
बताया जा रहा है कि, यहां पर लोग सुबह 8.30 बजे नाश्ते के लिए, दोपहर 1 बजे भोजन के लिए, शाम 6 बजे चाय के लिए और रात के खाने के लिए 8:00 बजे नियमित रूप से आते हैं.
यहां नियमित रूप से आ रहे लोगों में प्रवासी मजदूर, बेघर, भिखारी और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग शामिल हैं. लॉकडाउन के चलते इनके पास न ही कोई काम है ना ही कोई पैसा. हालांकि सिटी पुलिस कमिश्नर ने दावा किया है कि इन लोगों में प्रवासी मजदूर शामिल नहीं हैं .
“इनमें बेघर लोग, भिखारी और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों शामिल हैं. कई NGO इनकी मदद कर रहे हैं और इस बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जा रहा है.”सिटी पुलिस कमिश्नर
सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान
सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा खयाल रखा गया है . पुल के दोनों तरफ लोगों के बैठने के लिए एक घेरा बनाया गया है, जिसका सख्ती से पालन किया जाता है.
“ये एक बड़ी जगह है, पुलिस वहां मौजूद है और ये सुनिश्चित किया गया है कि लोगों दूरी बनाए रखे, इस बीच हम जिले में एडिशनल शेल्टर होम की भी व्यवस्था कर रहे हैं,” सिटी पुलिस कमिश्नर ने क्विंट को बताया.
ये पूछे जाने पर की खाना सीधे उनके घर पर क्यों नहीं पहुंचाया जा रहा, अधिकारी ने कहा इतने लोगों को किसी एक जगह पर जमा करना कोरोना के खतरे को बढ़ा सकता है.
एक वॉलंटियर ने बताया कि इस पहल से उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचने में मदद मिली है, क्योकि ये पता कर पाना बहुत मुश्किल है की किसे खाने की जरूरत है और किसे नहीं. हालांकि उन्होंने कहा कि इन लोगों को जल्द ही किसी शेल्टर होम में शिफ्ट करने की जरूरत है.
क्विंट को एक सूत्र ने बताया कि पुल पर आने वाले सैकड़ों लोगों में से, 146 लोगों की पहचान बेघर के रूप में की गई है, इन्हें आईडी कार्ड जल्द ही जारी किए जाएंगे और आवास की व्यवस्था की जाएगी.
जिला प्रशाशन रोज ग्रामीण इलाके के लगभग 3246 लोग, और शहरी इलाके के 3550 लोगों को खाना और जरूरी की चीजें मुहैया कर रही है. जिले भर में 30 रसोई स्थापित की गई हैं.
भोजन और दूसरी आवश्यक चीजों के लिए1097 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है.
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