दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज को खोलने के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि मरकज में एंट्री करने वाले नमाजियों की संख्या को सीमित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अन्य धार्मिक स्थलों पर ऐसा कोई नियम लागू नहीं है.
हाईकोर्ट ने दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के दिशा-निर्देश के अनुसार रमजान में इबाबत के लिए मरकज के अंदर स्थित मस्जिद को खोलने की मंजूरी दे दी है.
केंद्र और दिल्ली सरकार की मांग खारिज
हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार की उस मांग को अस्वीकार कर दिया. जिसमें कहा गया था कि पुलिस की ओर से तय की गई 200 लोगों की लिस्ट में से एक बार में सिर्फ 20 लोगों को एंट्री की इजाजत मिले.
हाईकोर्ट की जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा कि यह एक खुला स्थान है इसलिए यहां नमाजियों की संख्या को तय नहीं किया जा सकता है और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी ऐसा नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि, कोई भी मंदिर या मस्जिद या चर्च में इच्छानुसार जा सकता है और विशेष रूप से 200 लोगों की लिस्ट किसी के द्वारा नहीं दी जा सकती है.
हाईकोर्ट ने कहा कि, “200 लोगों की लिस्ट स्वीकार नहीं जा सकती है. मस्जिद के सटीक क्षेत्रफल का अध्ययन करके, यह पता लगाइये कि सोशल डिस्टेंसिंग के अनुसार, कितने लोग मस्जिद में आ सकते हैं. इसके आधार पर हम बाद में इस बात की अनुमति देंगे कि एक बार में कितने लोग वहां मौजूद रहेंगे.”
हाईकोर्ट ने कहा कि, “किसी भी धार्मिक स्थल पर श्रद्धालु का नाम नहीं पूछा जाता है. फिलहाल हम मरकज खोलने की अनुमति दे रहे हैं, जहां पर नमाजी आए, नमाज अदा करें और फिर चले जाएं.”
बता दें कि पिछले साल मार्च में कोरोना संक्रमण के दौरान दिल्ली स्थिति निजामुद्दीन मरकज में धार्मिक सभा के आयोजन पर तबलीगी जमात की आलोचना हुई थी.
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