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नवरात्र के दौरान अब साउथ दिल्ली में मीट की दुकानों को बंद करने का 'फरमान'

कल 04 अप्रैल से साउथ दिल्ली निगम में पड़ने वाली सभी मीट की दुकानों को नवरात्र तक बंद रखना होगा.

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"नवरात्रि के दौरान, दिल्ली में 99% घर लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करते हैं, इसलिए हमने फैसला किया है कि दक्षिण एमसीडी में कोई मांस की दुकान नहीं खुलेगी, यह फैसला कल से लागू होगा. उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगेगा."

यह आदेश उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के किसी मंत्री ने नहीं बल्कि भारत की राजधानी दिल्ली (Delhi) के एक मेयर ने दिया है. इस आदेश के अनुसार कल 04 अप्रैल से साउथ दिल्ली निगम में पड़ने वाली सभी मीट की दुकानों (Meat Ban in Delhi) को नवरात्र तक बंद रखना होगा.

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उत्तर प्रदेश से दिल्ली पहुंचा मीट बैन 

साउथ दिल्ली के मेयर मुकेश सुर्यान ने आज यह आदेश जारी कर कहा कि 02 अप्रैल से 11 अप्रैल के बीच नवरात्र का त्यौहार है बीच माँ दुर्गा की पूजा की जाती है और पूरी तरह से शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है. इस बीच लहसुन और अदरक तक का इस्तेमाल वर्जित हो जाता है इस बीच भक्तों को मंदिर से लौटते समय मांस की दुर्गन्ध से होकर गुजरना पड़ता है. जो की धार्मिक उद्देश्य से सही नहीं है इसलिए मांस की दुकानों को बंद रखने का आदेश दिया जाता है.

कल 04 अप्रैल से साउथ दिल्ली निगम में पड़ने वाली सभी मीट की दुकानों को नवरात्र तक बंद रखना होगा.

आदेश की प्रति 

फोटो - ट्वीटर  

"इसके अलावा, कुछ मांस की दुकानें गटर में या सड़क के किनारे कचरा डंप करती हैं, जिसे आवारा कुत्ते खाते हैं. यह न केवल अस्वच्छ है, बल्कि राहगीरों के लिए भी एक भयावह दृश्य है. इस तरह की घटनाओं को प्रतिबंधित किया जा सकता है यदि इस अवधि के दौरान मांस की दुकानों को बंद कर दिया जाता है. नवरात्रि पर्व पर...मंदिरों के आसपास मांस की दुकानों को बंद करना भी मंदिरों और आसपास की सफाई बनाए रखने के लिए जरूरी है."
मुकेश सुर्यान, साउथ दिल्ली के मेयर

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर कि इस निर्णय का आधार क्या है, मेयर ने कहा, "लोग इसे नहीं चाहते", बिना यह बताए कि ये लोग कौन हैं या यह निर्धारित करने के लिए एक सर्वे किया गया था.

आपको बता दें उत्तर प्रदेश के कई शहरों में नगर निगम के आदेश के बाद मांस के दुकानों को बंद करने का आदेश जारी किया गया था. हालांकि बाद में कई जगहों पर इस आदेश को वापिस ले लिया गया. लेकिन उत्तर प्रदेश में इस आदेश को लेकर विवाद जारी था जो अब दिल्ली पहुंच चुका है.

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