दिल्ली बीते कई सालों से दिवाली के बाद प्रदूषण की भारी समस्या से जूझती नजर आती है. लेकिन एक सर्वे में दिल्ली के लोगों के लिए राहत की खबर आई है. इस साल दिवाली के बाद दिल्ली का प्रदूषण पिछले तीन सालों में सबसे कम रहने वाला है. सरकारी एजेंसी के मुताबिक इस बार हवा की स्पीड पटाखों और हरियाणा और पंजाब के किसानों की ओर से जलाई जा रही पराली को भी दिल्ली की तरफ आने से रोकेगी.
हालांकि सोमवार को दिल्ली की हवा सुबह के वक्त ‘गंभीर’ की श्रेणी में रह सकती है. सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम 2.5 की मात्रा बीते तीन सालों में सबसे कम रहने का अनुमान है.
पीएम 2.5 का आकार 2.5 माइक्रोंस के डायामीटर जितना होता है. ये इतने छोटे होते हैं कि ये हमारे फेफड़ों में घुस सकते हैं यहां तक कि ये हमारे नसों में भी जा सकते हैं.
पिछले साल दिवाली के बाद AQI में 642 के साथ दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर के साथ आपातकाल’ की श्रेणी में पहुंच गई थी. इससे पहले साल 2017 में AQI 367 मापा गया था, जबकि साल 2016 में AQI 425 था.
क्या है AQI और गुणवत्ता का संबंध?
AQI यानी एयर क्वालिटि इंडेक्स. इस इंडेक्स ये पता चलता है कि हवा की गुणवत्ता कैसी है. इसमें हवा की गुणवत्ता को तय करने के लिए अलग-अलग आंकड़े तय किए गए हैं.
- AQI 0-50: अच्छी स्थिति
- AQI 51-100: संतोषजनक स्थिति
- AQI 101-200: मध्यम स्थिति
- AQI 201-300: खराब स्थिति
- AQI 301-400: बहुत खराब स्थिति
- AQI 401-500: गंभीर स्थिति
हवा की गुणवत्ता में 'गंभीर और इमरजेंसी ' के पैमाने का मतलब है कि लोगों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का गंभीर असर है. इससे खासतौर पर सांस लेने में दिक्कत होती है.
सफर की रिपोर्ट के मुताबिक बीते दो दिनों में हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक 28 अक्टूबर की तड़के(1 बजे से 6 बजे के बीच) पटाखों का धुओं का खासा असर रहेगा.
सफर की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली यूनिवर्सिटी, पूसा, रोहिणी-पंजाबी बाग, वजीरपुर, जहांगीरपुरी, डीटीयू और बवाना जैसे रिहायशी इलाकों में सबसे ज्यादा प्रदूषित इलाके होंगे. गुरुग्राम, आयानगर और नेहरू स्टेडियम सबसे कम प्रदूषित रहने वाले इलाके हैं.
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