इस बार आठ फरवरी को होने वाला दिल्ली विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा. वोट देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के मतदाताओं की पहली प्राथमिकता विकास का मुद्दा रहेगा. यह बात आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण में सामने आई है. सर्वेक्षण के दौरान जब मतदाताओं से महत्वपूर्ण मुद्दों पर सवाल किया गया तो 56 फीसदी लोगों ने माना कि वह विकास संबंधी मुद्दों पर ही मतदान करने वाले हैं.
56 % लोगों करेंगे विकास के मुद्दों पर मतदान: रिपोर्ट
56 % लोगों ने माना कि वह विकास संबंधी मुद्दों पर ही मतदान करने वाले हैं. इसके बाद 30.6 % लोगों का कहना है कि वह आर्थिक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वोट देंगे. केवल 6.6 % मतदाताओं ने सुरक्षा के मुद्दे पर वोट देने की बात कही. जबकि अन्य मुद्दों पर वोट देने वाले 6.8 फीसदी लोग रहे.
मौजूदा समस्याओं के लिए कौन जिम्मेदार है?
14.3 % मतदाताओं ने राज्य सरकार को इसका जिम्मेदार बताया. वहीं 6.8 % लोगों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और नौ फीसदी लोगों ने स्थानीय विधायक पर समस्या पनपने का आरोप लगाया.
कुल 12.3 % लोगों को लगता है कि मुद्दों और समस्याओं के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है, जबकि 4.1% मतदाताओं को लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम्मेदार हैं.
महज 1.5 % लोगों ने समस्याओं के लिए सांसद को जिम्मेदार ठहराया. दिल्ली में फिलहाल सभी सात लोकसभा सीटें बीजेपी के पास हैं. इसके साथ ही 6.9 फीसदी मतदाता समस्याओं के लिए स्थानीय नगर निगम को जिम्मेदार मानते हैं, जिसका संचालन भी बीजेपी के पास ही है.
एक बहुत बड़ी संख्या में 43.5 % मतदाताओं ने कहा कि वे यह नहीं कह सकते कि यह किसकी जिम्मेदारी है.
समस्याओं का समाधान कौन कर सकता है?
इस पर 35.7 % से अधिक मतदाताओं का कहना है कि वे इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं कि इन्हें कौन दूर कर सकता है. वहीं 32.7 % लोगों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल समस्या दूर कर सकते हैं. इस संबंध में 17.3 % लोगों ने बीजेपी पर भरोसा जताया, वहीं महज 4.8 % लोगों ने कांग्रेस पर भरोसा जताया.
सर्वेक्षण का पहला चरण जनवरी के पहले सप्ताह में आयोजित किया गया था, जिसमें कुल 13,706 लोगों से बातचीत की गई.
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