धनबाद के सुबोध लाल की इकलौती बेटी की शादी 31 जनवरी को थी, जिसमें शामिल होने के लिए झारखंड-बिहार से रिश्तेदार उनके आशीर्वाद टावर स्थित घर पर जमा हुए थे. इस बीच अपार्टमेंट के दूसरे फ्लोर पर रह रहे पंकज अग्रवाल के घर शाम 6.30 बजे एक दीया गिरने से आग लग गई. आग देखते ही देखते चौथे तल्ले तक पहुंच गई. यहीं चौथे तल्ले पर सुबोध लाल का भी अपार्टमेंट था.
आग लगते ही बिजली चली गई. जिससे लिफ्ट बंद हो गई, फायर सेफ्टी सिलेंडर तक लोगों की पहुंच नहीं हो पाई. शादी में शामिल होने आई महिलाएं तैयार हो चुकी थीं. ये सभी भारी साड़ी और लहेंगे में थी, सीढ़ी से भागने की कोशिश में सभी आग की चपेट में आ गई. इसमें सुबोध लाल की पत्नी माला देवी, पिता, साली सविता देवी, सविता के आठ साल के बेटे अमन, एक अन्य रिश्तेदार सुशीला देवी, चार साल की बच्ची तान्या सहित कुल 14 लोगों की मौत हो गई. इसमें 10 महिलाएं, तीन बच्चे व एक पुरुष शामिल हैं.
ताजा जानकारी के मुताबिक मृतकों का पोस्टमार्टम धनबाद के पीएमसीएच में चल रहा है. वहीं घायलों का इलाज पाटलीपुत्रा नर्सिंग होम सहित विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है. इसमें तीन घायलों का इलाज चल रहा है, बाकि को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है.
घायलों में राजा (18 साल), सरोज (32 साल), अनुपमा गुप्ता (30 साल), परी (3 साल), गुड़िया देवी (30 साल), हर्षित (7साल), सुनील (45 साल), पूजा कौर (32 साल), अथर्व (15 साल), मुस्कान (19 साल), परमा देवी, रसिका झा (23 साल), माही (16 साल), नर्मदा, रीना देवी (35 साल), पार्वती अग्रवाल (70 साल), टीपू (28 साल), बिनोद लाल (54 साल) शामिल हैं.
वहीं बुधवार दोपहर 1 बजे तक कुल छह शवों का पोस्टमार्टम हो चुका था.
मातम के बीच सात फेरे
इन सब के बीच सुबोध लाल की बेटी स्वाती की शादी हुई. सुबोध लाल के रिश्तेदार अशोक लाल ने बताया कि घटना के बाद दोनों ही पक्षों के लोगों ने मिलकर तय किया कि बारात आ गई है शादी कराई जाए. इसके बाद मातमी सन्नाटे के बीच बिना किसी गाजे-बाजे की शादी कराई गई. बताया जा रहा है कि घटना की जानकारी दुल्हा और दुल्हन को नहीं दी गई. गुरुवार सुबह 5.30 बजे शादी की सभी रस्में पूरा करने के बाद लड़की ससुराल चली गई. शादी सिद्धि विनायक होटल में हुई. ये होटल आशीर्वाद टावर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर है.
एक स्थानीय पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि घटना के बाद वह अस्पताल से सीधे विवाह मंडप पहुंचे.
परिजनों ने मेरा मोबाइल रख लिया. तब उन्होंने केवल बैठने की इजाजत दी. इस दौरान मैं किसी से बात नहीं कर पाया. बस शादी देखता रहा. इस दौरान सुबोध लाल भी मंडप से कुछ दूर कुर्सी पर बैठे रहे. डबडबाई आखों के बीच वो हिम्मत नहीं जुटा पाए कि बेटी का कन्यादान करें. इस रस्म को स्वाती के एक भाई ने पूरी की.स्थानीय पत्रकार
उन्होंने बताया कि हरेक विधि-विधान के दौरान स्वाती पास खड़ी रिश्तेदार महिलाओं से पूछती रही कि मां कहा है. तबियत खराब होने की बात बता उसे शादी की रस्मों में उलझाए रखा और शादी संपन्न कराई गई.
मैं तो बस ये सोचकर अजीब लग रहा है कि जब ससुराल में उसे इस बात की जानकारी मिलेगी, फिर वहां का क्या माहौल होगा और उस पर क्या बीतेगी.स्थानीय पत्रकार
चश्मदीदों ने क्या कहा?
इस घटना में सुबोध लाल की साली सवीता देवी व उनके एक बेटे अमन की भी मौत हो गई है. मीडिया को दिए बयान में अमन के पिता ने बताया कि, आग बुझने में दो घंटा से अधिक लग गया.
मेरे बच्चे ने मुझे 7 बजे के आसपास फोन किया. मुझे घर पहुंचने में आधा घंटा से अधिक लगा, तब तक मेरे बच्चे को रेस्क्यू ही किया जा रहा था. अगर आधा घंटा और समय मिलता तो लोग बच जाते.अमन के पिता
हॉस्पिटल के बाहर देर रात वो किसी को फोन पर रोते हुए कह रहे थे कि भैया मेरा एक बेटा मर गया, पत्नी मर गई, बस एक बेटा बच पाया. मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई भैया.
सेकेंड फ्लोर पर जिस घर में आग लगी, उसके घर के मालिक घर से बाहर चले गए थे. आग लगने से उनके घर का सिलेंडर भी फट गया. जिससे आग बाकि फ्लोर पर भी फैल गई.जयप्रकाश गुप्ता, सुबोध लाल के मित्र
इसी शादी में शामिल होने पटना से आई पूनम देवी ने बताया कि हमलोग शादी पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रहे थे. अचानक सब हल्ला करने लगा कि आग लग गई,आग लग गई.... हमलोग भी देखे. जैसे ही सीढ़ी से उतर कर भागने लगे. जैसे ही सीढ़ी से उतरने लगे, पूरा अंधेरा छा गया.
क्यों हो रही हैं ऐसी घटनाएं?
धनबाद अग्निशमन विभाग के पास सीढ़ी से चढ़ पाने के मात्र तीन तल्ले तक चढ़ने की व्यवस्था है. जबकि आशीर्वाद टावर सहित शहर के कई अन्य अपार्टमेंट 10 से 16 मंजिले तक की है. आशीर्वाद टावर भी 11 मंजिल का है. इसमें लगभग 70 से 80 फ्लैट हैं. इन सभी भवनों का नक्शा नगर निगम ने पास किया है. अपार्टमेंट में आग से बचाव के साधनों को अप्रूव करने की जिम्मेदारी अग्निशमन विभाग की होती है.
नियम के मुताबिक ग्राउंड लेवल से 15 मीटर ऊपर यानी तीन तल्ले से अधिक की इमारत को गगनचुंबी ईमारत माना जाता है. कुल 28,46,954 लाख जनसंख्या वाले धनबाद जिले में फायर ब्रिगेड विभाग के पास मात्र छह दमकल की गाड़ियां हैं. विभाग के पास हाईड्रोलिक प्लेटफॉर्म वाहन भी नहीं है. इसके लिए बीते छह सालों से पत्राचार चल रहा है. जबकि केवल धनबाद शहर में ही 600 से अधिक अपार्टमेंट और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स हैं. इसके अलावा स्कूल, अस्पताल, होटल, कॉलेज व अन्य सरकारी भवनें हैं.
यह कोई पहली घटना नहीं है. बीते 28 फरवरी को धनबाद के ही एक डॉक्टर दंपती सहित कुल छह लोगों की मौत आग लगने से हुई थी.
धनबाद के जिलाधीकारी संदीप सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, पुलिस प्राथमिकी दर्ज करेगी. अगर बिल्डर की लापरवाही सामने आई तो उनपर भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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