हरियाणा में बीजेपी को 40 सीटें मिलने के बाद एक बार फिर गोपाल कांडा ने वही कोशिश की जो उन्होंने कांग्रेस सरकार बनाने के लिए की थी. बीजेपी ने भी मौके को देखते हुए इसे तुरंत लपक लिया. बीजेपी सांसद के साथ प्राइवेट जेट में दिखने और खट्टर से मुलाकात के बाद हंगामा शुरू हुआ. क्योंकि कांडा पर एयर होस्टेस को आत्महत्या के लिए उकसाने को लेकर मामला चल रहा है.
कांडा पर ये मामला कई सालों से चल रहा है. लेकिन इस केस में अभी तक कांडा को कड़ी सजा नहीं हो पाई. पीड़ित परिवार आज तक इंसाफ के लिए लड़ रहा है. अब कोर्ट ने भी राज्य सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं और मामले को लेकर सरकार की उदासीनता पर नाराजगी जताई है.
कोर्ट ने कहा कि इस केस का ट्रायल काफी धीरे चल रहा है. लोक अभियोजक और गवाह कोर्ट नहीं पहुंच रहे हैं. कोर्ट ने कहा था कि ये काफी अजीब है कि दिल्ली सरकार इस मामले को आगे बढ़ाने में अपनी रुचि नहीं दिखा रहा है.
दिल्ली सरकार को नोटिस
कांडा के खिलाफ मामले में विशेष लोक अभियोजक के पेश न होने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने कहा कि जब विशेष लोक अभियोजक पेश नहीं हो रहे और निदेशक (अभियोजन) ने मामले के लिए कोई अभियोजक नियुक्त करने में असमर्थता जताई है, यह अदालत विशेष गृह सचिव, दिल्ली सरकार और अतिरिक्त डीसीपी राजीव रंजन को पेश होने और इस अदालत को यह बताने के लिए नोटिस जारी करने को बाध्य है कि राज्य सरकार किस तरह मामले में मुकदमा चलाना चाहती है.
गोपाल कांडा ने हरियाणा की सिरसा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें जीत भी मिली. नतीजों का समीकरण देखते हुए कांडा ने बीजेपी के लिए स्वयंसेवक का काम करना शुरू कर दिया और अपने साथ 5 विधायकों को लेकर दिल्ली निकल पड़े. उनके साथ बीजेपी की सांसद भी प्राइवेट जेट में ली गई सेल्फी में नजर आईं थीं.
एक महीने से पेश नहीं हो रहे अभियोजक
कोर्ट में आए तीन गवाहों को भी बिना पूछताछ के ही जाने दिया गया, क्योंकि विशेष लोक अभियोजक राजीव मोहन कोर्ट नहीं पहुंचे. इस पर कोर्ट ने कहा, ‘‘आज फिर, एक गवाह चुंदुरू ईश्वरप्पा साई प्रसाद, सहायक निदेशक, सीएफएसएल, हैदराबाद, मौजूद हैं, जो हैदाबाद से इस अदालत में आए हैं. लेकिन, अब भी विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) उपस्थित नहीं हैं और अधिवक्ता प्रतिनिधि कह रहे हैं कि एसपीपी तीस हजारी अदालत, दिल्ली में व्यस्त हैं.’’ कोर्ट ने बताया कि अभियोजक 23 सितंबर से पेश नहीं हो रहे हैं.
इसके बाद निदेशक (अभियोजन) ने कोर्ट को बताया, क्योंकि दिल्ली सरकार पहले ही विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति कर चुकी है, इसलिए वह इस मामले को चलाने के लिए किसी अभियोजक की नियुक्ति नहीं कर सकते.
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