गुजरात की बीजेपी सरकार ने सभी स्कूलों में अटेंडेंस के दौरान छात्रों के लिए नया फरमान जारी किया है. सरकार ने सभी स्कूलों से ये तय करने को कहा है कि क्लास में अटेंडेंस के दौरान छात्र ‘यस सर', 'प्रेजेंट सर' की जगह ‘जय हिंद' या ‘जय भारत' बोलें. सरकार का मानना है कि इस तरह छात्रों में देशभक्ति की भावना पैदा होगी.
विपक्षी पार्टियों ने गुजरात सरकार के इस कदम की आलोचना की है. विपक्ष ने कहा कि सरकार को शिक्षा के गिरते स्तर में सुधार लाने के लिए काम करना चाहिए.
गुजरात सेकेंड्री एंड हायर सेकेंड्री एजुकेशन बोर्ड (GSHSEB) की ओर से सोमवार को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, सभी सरकारी और और मान्यता प्राप्त स्कूलों में क्लास एक से 12वीं तक के छात्र एक जनवरी से अटेंडेंस के दौरान नाम पुकारे जाने पर ‘जय हिंद' या ‘जय भारत' कहें. नोटिफिकेशन में कहा गया है कि नई व्यवस्था का मकसद छात्रों में ‘‘बचपन से ही राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा करना है.''
“जय भारत और जय हिंद, ‘यस सर' से कहीं बेहतर’’
गुजरात के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह चूडास्मा ने मंगलवार को कहा कि सरकार को ‘अच्छे सुझाव' स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘जय भारत और जय हिंद, ‘यस सर' से कहीं बेहतर है. जय हिंद या जय भारत कहने से देश भक्ति की भावना पैदा होगी जिस लिए मैंने यह बदलाव करने का फैसला किया.''
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सीबीएसई और अन्य शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों से भी नए दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा गया है. उनका दावा है, ‘‘लोकल प्राइवेट स्कूलों ने कहा है कि राज्य सरकार का ये अच्छा फैसला है.''
'शिक्षा की गुणवत्ता में नहीं आएगा कोई बदलाव'
गुजरात सरकार की आलोचना करते हुए प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख अमित चावड़ा ने कहा कि नई व्यवस्था सरकारी और मान्यता प्राप्त स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में बदलाव नहीं लाएगी.'' उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी सरकार ने स्कूली छात्रों में देशभक्ति की भावना पैदा करने की कई बार कोशिश की है. कुछ बदलावों को बदलने से शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं होगा.''
चावड़ा ने आरोप लगाया कि गुजरात में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता गिर रही है. शिक्षा की गुणवत्ता कई कम विकसित राज्यों से भी बदतर है.
'देशभक्ति बच्चों के खून में हैं'
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि गुजरात के बच्चों और युवाओं को अपनी देशभक्ति व्यक्त करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ‘‘ये उनके खून में है.'' उन्होंने कहा कि सरकार को शिक्षा की गिरती गुणवत्ता में सुधार को प्राथमिकता देनी चाहिए.
हार्दिक पटेल ने कहा, ‘‘शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के बजाए शिक्षा मंत्री गुजरात के बच्चों और युवाओं को देश भक्ति सिखाने की बात कर रहे हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि यहां सब देशभक्ति की भावना के साथ पैदा होते हैं."
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