गुजरात में 17 नवंबर को गैर सचिवालय और ऑफिस असिस्टेंट के लिए हुई भर्ती परीक्षा में बड़े स्तर पर नकल और पेपर लीक समेत कई तरह की अनियमितताओं की खबरों के बाद से ही प्रदेश भर में छात्र जबरदस्त प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि मौजूदा परीक्षा को रद्द कर दोबारा आयोजित की जाए.
प्रदेश की राजधानी गांधीनगर में हो रहे इस प्रदर्शन में अब राज्य के युवा नेता जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल भी जुड़ गए हैं और इसके चलते बीजेपी की सरकार पर दबाव बढ़ रहा है.
राज्य सरकार ने 5 दिसंबर को एक विशेष जांच टीम (SIT) के गठन का ऐलान किया, जो गुजरात स्टेट सबऑर्डिनेट सर्विसेस बोर्ड (GSSSB) की परीक्षाओं में अनियमितताओं की जांच करेगी. हालांकि छात्रों का कहना है कि जब तक परीक्षा रद्द नहीं की जाती, उनका आंदोलन चलता रहेगा.
पुलिस का लाठीचार्ज, 800 से ज्यादा हिरासत में
आंदोलनकारी छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक गांधीनगर में आंदोलन के दौरान पुलिस और छात्रों में टकराव हो गया, जिसके बाद हुए लाठीचार्ज में दर्जनों छात्र घायल हो गए. वहीं 800 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.
4 दिसंबर को हुए लाठीचार्ज में घायल प्रदर्शनकारी छात्र मणिलाल (साबरकांठा से) ने बताया,
“पुलिस ने हम पर लाठीचार्ज किया और पीटा. पुलिसवाले बोल रहे हैं कि उन्होंने हमें नहीं पीटा, लेकिन मेरी चोट इसका सबूत हैं. उन्होंने हमें घेरकर पिटाई की और फिर वो कह रहे हैं कि कुछ नहीं हुआ.”
SIT सिर्फ वक्त की बर्बादी
आंदोलनकारी छात्र SIT के गठन से संतुष्ट नहीं है. उनका कहना है कि सबूत तो छात्रों ने ही जुटा लिए हैं. उन्होंने कहा कि SIT के गठन से सिर्फ छात्रों का वक्त बर्बाद होगा.
“एग्जाम के पेपर लीक हो गए थे और मीडिया को इसका सबूत दिया गया है. हम छात्र हैं, हम एक साल तक SIT के फैसले का इंतजार नहीं कर सकते. सरकार हमारा वक्त बर्बाद कर रही है.”रोहित (अरावली)
वहीं छात्रों ने ये भी आरोप लगाया कि सरकार ने SIT सिर्फ इसलिए बनाई ताकि प्रदर्शन खत्म हो सके, लेकिन उनकी मांग है कि ये एग्जाम रद्द किया जाए और इसे दोबारा आयोजित किया जाए.
मिल रहा राजनीतिक समर्थन
गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के समर्थन से भी छात्रों के आंदोलन को जोर मिला है.
क्विंट से बात करते हुए मेवानी ने कहा,
“राज्य सरकार ने कुछ छात्रों को अपने साथ बैठाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और दिखाने की कोशिश की कि छात्रों को अब कोई परेशानी नहीं है, जबकि छात्र अपने प्रदर्शन पर जमे हुए थे. जब तक सीएम विजय रूपाणी दोबारा एग्जाम का ऐलान नहीं करते, ये प्रदर्शन चलता रहेगा.”
वहीं गुजरात के गृह राज्यमंत्री प्रदीपसिंह जडेजा ने कहा है कि सरकार ने 17 नवंबर की परीक्षा को रद्द कर दोबारा परीक्षा आयोजित करने से इंकार किया है. लेकिन सवाल ये है कि छात्रों का लगातार तेज हो रहा आंदोलन सरकार को अपना रुख बदलने के लिए मजबूर करेगा?
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